इवेंट
*कुमाऊं विश्वविद्यालय में आदिवासी उत्थान पर संगोष्ठी, आशा शर्मा को महिला सशक्तिकरण सम्मान*
नैनीताल: कुमाऊं विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन आदिवासी जनजातियों के रहन-सहन और उनके उत्थान के लिए किया गया। इस कार्यक्रम में आशा फाउंडेशन की अध्यक्ष आशा शर्मा को महिला सशक्तिकरण सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दीवान सिंह रावत और पूर्व चीफ जस्टिस श्री राजेश टंडन द्वारा प्रदान किया गया।
संगोष्ठी के दौरान विभिन्न प्रवक्ताओं ने महिलाओं के अधिकार, आदिवासी जनजातियों के रहन-सहन और उनके उत्थान पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में उत्तराखंड और अन्य राज्यों से आए प्रवक्ताओं ने आदिवासियों को उनके स्वास्थ्य, अधिकारों, और शिक्षा के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस संगोष्ठी में प्रमुख अतिथियों के रूप में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दीवान सिंह रावत, एसएस जीना अल्मोड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सतपाल सिंह बिष्ट, प्रोफेसर विजय रानी डूंडियाल, प्रोफेसर पिंकी शर्मा (फैकल्टी ऑफ लॉ, दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रोफेसर नुसरत परवीन खान (फैकल्टी ऑफ लॉ, जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली), और माननीय जस्टिस श्री राजेश टंडन (पूर्व जस्टिस, हाई कोर्ट उत्तराखंड) उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के दौरान कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति और अन्य अतिथियों ने महिलाओं और आदिवासियों के अधिकारों के संरक्षण और जागरूकता के लिए किए गए प्रयासों पर चर्चा की और इस दिशा में किए गए कार्यों को महत्व दिया। इस संगोष्ठी ने आदिवासी समुदाय के उत्थान और उनके अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया, जिसे एक महत्वपूर्ण शोध और कार्यक्षेत्र के रूप में देखा गया।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों से चार महिलाओं को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। आशा फाउंडेशन की अध्यक्ष आशा शर्मा को महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए यह सम्मान दिया गया। उन्होंने बताया कि यह सम्मान उनके लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे लगातार पहाड़ के दूर-दराज के क्षेत्रों में जाकर महिलाओं को उनके अधिकारों, स्वास्थ्य, और दायित्वों के प्रति जागरूक कर रही हैं।
आशा शर्मा ने महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक नीता बोरा शर्मा, प्रोफेसर किरण तिवारी, और प्रोफेसर ललित तिवारी का आभार व्यक्त किया और इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।







