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*नैनीताल में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन: जल शोधन के लिए नैनो टेक्नोलॉजी आधारित समाधान पर चर्चा*

नैनीताल। ऊर्जा, कार्यात्मक सामग्री, अणु और नैनो टेक्नोलॉजी पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का दूसरा दिन हार्मिटेज, नैनीताल में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन कुमाऊं विश्वविद्यालय की डीन प्रोफेसर चित्रा पांडे और प्रो. एस. पी. एस. मेहता ने किया। इसके बाद, कीनोट स्पीकर पद्मश्री प्रो. टी. प्रदीप ने “वॉटर ड्रॉपलेट एंड आईस साइंस फॉर सस्टेनेबिलिटी” विषय पर व्याख्यान दिया।

पद्मश्री प्रो. टी. प्रदीप ने जल शोधन के लिए अमृत नामक नैनो-प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान प्रस्तुत किया, जो पानी से आर्सेनिक, आयरन और यूरेनियम को प्रभावी ढंग से हटा देता है। उन्होंने बताया कि यह तकनीक प्रति दिन 80 मिलियन लीटर शुद्ध पानी उपलब्ध कराती है, जो 1.3 मिलियन लोगों को सस्ती दर (2 पैसा प्रति लीटर) पर पानी प्रदान करती है। यह जल शोधन तकनीक अब बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्वीकृति प्राप्त कर चुकी है।

प्रो. प्रदीप ने जल बूंदों और बर्फ के निर्माण में मौलिक रसायन विज्ञान पर अपने शोध के बारे में भी जानकारी दी। एनसीएल के डॉ. गणेश पांडे ने बताया कि नैनो टेक्नोलॉजी आधारित जल शोधन से संबंधित शोध ने स्वच्छ जल की सुलभता में नवाचार को बढ़ावा दिया है, जिससे लाखों लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

डॉ. गणेश पांडे ने नैनो टेक्नोलॉजी से संबंधित कुछ नवीन रणनीतियों का उल्लेख किया, जैसे एंजाइमोसाइक्लो हेपटानोन स्कैफोल्ड और स्टीरियोकेमिकल फ्रेमवर्क, जो जटिल आणविक संरचनाओं के निर्माण को अधिक कुशल बनाती हैं। उन्होंने बताया कि इन नवाचारों में फार्मास्युटिकल विकास और जैव चिकित्सा अनुसंधान की अपार संभावनाएँ हैं।

सम्मेलन के दूसरे दिन तीन समानांतर तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिसमें 20 आमंत्रित वैज्ञानिकों ने अपने व्याख्यान दिए। इसके बाद, 66 पोस्टर प्रस्तुतियों का आयोजन हुआ, जिसमें डॉ. ए. सामंतु, डॉ. वसुधा अग्निहोत्री, डॉ. मनीषा, प्रो. सुमन कुरुक्षेत्र, डॉ. पुष्पेंद्र कुमार, डॉ. आशीष भटनागर आदि ने अपनी शोध प्रस्तुत की।

आज सायं उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करने के लिए लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। सम्मेलन का समापन समारोह कल अपराह्न आयोजित किया जाएगा।

सम्मेलन में कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रो. नंद गोपाल साहू, प्रो. चित्रा पांडे, प्रो. गीता तिवारी, डॉ. महेश आर्या, प्रो. ए. बी. मेलकानी, प्रो. ललित तिवारी, डॉ. सोहेल जावेद, डॉ. मनोज धूनी, डॉ. आंचल अनेजा, डॉ. भावना पंत सहित कई प्रमुख वैज्ञानिक और शोधार्थी उपस्थित रहे।

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