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उत्तराखंड

*रेल मंत्रालय की हरी झंडी के बाद वंदे भारत एक्सप्रेस स्लीपर ट्रेन संचालित होने की जगी उम्मीद*

भारतीय रेल वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के स्लीपर वर्जन को जल्द पटरी पर दौड़ाने की तैयारियां कर रही है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) संयंत्र में वंदे भारत शयनयान श्रेणी के कोच का अनावरण किया। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इसमें यात्रियों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) संयंत्र में वंदे भारत स्लीपर श्रेणी के कोच का अनावरण किया। बीईएमएल रक्षा मंत्रालय के तहत आता है और रक्षा, अंतरिक्ष, खनन, निर्माण, रेल और मेट्रो जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए उत्पाद बनाता है। इसे वंदे भारत के 160 स्लीपर डब्बे (10 ट्रेनसेट) बनाने का ठेका मिला है। वैष्णव ने कहा कि वंदे भारत ट्रेन के तीन संस्करण हैं- चेयर कार, स्लीपर और मेट्रो। जहां चेयर कार खंड पहले ही पेश किया जा चुका है और काफी लोकप्रिय है। वहीं वंदे भारत स्लीपर की पहली संरचना तैयार है।

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा, “अब इसकी साज-सज्जा का काम होगा। संरचना बनाना सबसे मुश्किल काम है। आज हम चर्चा करेंगे कि इसे और कैसे बढ़ाया जाए।” रेल मंत्री ने कहा, “हम पहले ट्रेनसेट का पांच से छह महीने तक परीक्षण करेंगे और उसके बाद ही इसे लॉन्च किया जाएगा। स्लीपर ट्रेन उसी तकनीक पर आधारित है, जिस पर चेयर कार काम कर रही है।”

रेलमंत्री ने कहा कि स्लीपर ट्रेन में यात्रियों की सुविधा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। यात्रियों के ट्रेन में आसानी से प्रवेश करने के लिए सीढ़ी के फुट एरिया में सुधार किया गया है। शौचालयों में नया डिजाइन किया गया है और बेहतर एयर कंडीशनिंग है। नई तकनीक के साथ बेहतर सीट हैं। ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखा जाएगा और 99.99 फीसदी वायरस समाप्त हो जएंगे।”

उन्होंने कहा कि नए युग की इस ट्रेन में वर्तमान में चल रही मेल या एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में बेहतर सुरक्षा सुविधाएं हैं। वैष्णव ने कहा, अन्य विकसित देशों में इसी तरह की सुविधाओं वाले एक कोच की विनिर्माण लागत करीब दस करोड़ रुपये आती है। हालांकि, एक वंदे भारत स्लीपर कोच की लागत करीब 8-9 करोड़ रुपये आती है।

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