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*कुमाऊं विश्वविद्यालय पहुंची स्वर्णिम अमृत संदेश यात्रा, पौधे किए भेंट*

नैनीताल। हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय और कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के स्थापना के स्वर्ण जयंती वर्ष पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास से मंगलवार, 12 दिसंबर 2023 को ‘स्वर्णिम अमृत संदेश रथ यात्रा’ का शुभारंभ किया था। इस अवसर पर  दोनों विश्वविद्यालय एक दूसरे को पचास-पचास पेड़ भेंट कर एक विश्वविद्यालय के सदस्य दूसरे विश्वविद्यालय में पहुंचकर पचास पौधों का रोपण कर रहे हैं।

प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत 18 दिसम्बर को गढ़वाल विश्वविद्यालय से 50 पेड़ लेकर संदेश यात्रा दल मैती संस्था के संस्थापक पद्मश्री डॉ०  कल्याण सिंह रावत के नेतृत्व में आज मंगलवार, को कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल पंहुचा। जिनका रोपण कुमाऊं विश्वविद्यालय के विवेकानंद भवन में किया गया। इसी के साथ गढ़वाल विश्वविद्यालय के संदेश यात्रा दल द्वारा अपने साथ गंगा जल भी लाया गया जिसे नैनीताल में मां नैना देवी के दर्शन के बाद नैनीझील में प्रवाहित किया गया। लोगों में पर्यावरण के प्रति जीवन शैली में बदलाव लाने की प्रेरणा देने हेतु इस संदेश यात्रा में अन्तराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के सम्मान में दोनो विश्वविद्यालयों द्वारा एक दूसरे को मिलेट (श्रीअन्न) से बनी मिठाईयां/ भिटोली भी सौगात के रूप में भेट की गई। इस अवसर पर “क्लाइमेट चेंज एंड एनवायर्नमेंटल इशू” विषय पर संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जिसका शुभारम्भ मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ० कल्याण सिंह रावत, कुलपति कुविवि प्रो० दीवान सिंह रावत, पर्यावरणविद प्रो० अजय रावत एवं कुलसचिव दिनेश चंद्रा द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

संगोष्ठी में सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ० कल्याण सिंह रावत ने कहा कि किसी आयोजन को यादगार बनाने में पेड़ों की बडी भूमिका होती है। पेड़ जहां जीवन का आधार है वहीं हमारी संस्कृति का भी प्रतीक है। इसलिए दोनों विश्वविद्यालय अपने स्वर्ण जयंती वर्ष को इको फ्रेंडली रुप से मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि बदलते जलवायु के संकेतों से अब हमें जागरूक होने की जरुरत है। यदि अभी भी हम नहीं जागे तो बहुत देर हो जायेगी। हमें अपने आवश्यकताओं को सीमित करके जीवन शैली में आवश्यक बदलाव लाना होगा। इस अवसर पर कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र एवं वर्तमान में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० दीवान सिंह रावत ने विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास और अपनी पुरानी स्मृतियों को याद करते हुए छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि विवि के 50 साल के इस सफर में परिश्रम, अनुशासन के साथ शैक्षणिक उपलब्धियों ने कुमाऊं विश्वविद्यालय को शिखर पर पहुंचाने का काम किया है।

उन्होंने स्वर्णिम अमृत संदेश रथ यात्रा के सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि जहाँ इस संदेश यात्रा से लोगों में पर्यावरण-अनुकूल जीवन शैली को अपनाने और बढ़ावा देने की प्रेरणा मिलेगी वहीं भारतीय परंपरा से जुड़ा श्रीअन्न अथार्त सुपरफूड का उपयोग देश के समग्र विकास का माध्यम बन अपनी संस्कृति, स्वच्छ खान-पान एवं बोली-भाषा के प्रति जागरुकता पैदा करेगा। संगोष्ठी में सम्बोधित करते हुए पर्यावरणविद प्रो० अजय रावत ने कहा कि हिमालय में वनों के दोहन के कारण जैव विविधता बड़े पैमाने पर कम हो रही है। नदियों के सूखने, खत्म होते भूजल स्रोतों, ग्लेशियरों के पिघलने, पहाड़ों के खोखले किए जाने, ठोस और संकटमय कचरे से संबंधित प्रदूषण जैसी समस्याएं आम हैं। यहां की पर्यावरणीय स्थिति अत्यंत संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र के लोगों को अपने पर्वतीय परिवेश की भूवैज्ञानिक भेद्यता और पारिस्थितिक संवेदनशीलता के बारे में अधिक जागरूक होकर निश्चित रूप से इसकी रक्षा के लिये कानूनों एवं विनियमों का  अनुपालन करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिमालय के पर्यावरण और पारिस्थतिकी पर शोध के क्षेत्र में अपार संभावनाएं है जिसमें सहभागिता के साथ सभी को कार्य करना होगा। कार्यक्रम का संचालन करते हुए स्पर्श गंगा अभियान के राष्ट्रीय संयोजक एवं संकायाध्यक्ष, वाणिज्य प्रो० अतुल जोशी ने बताया कि कुमाऊं एवं गढ़वाल क्षेत्र में शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने के कारण छात्रों को आगरा और मेरठ विवि से पढ़ाई करनी पड़ती थी जिससे पहाड़ में विवि खोलने की मांग को लेकर चले जन आंदोलन के बाद 1973 में हेमवती नंदन बहुगुणा विवि श्रीनगर एवं कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल की स्थापना हुई। आज दोनों विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा और हिमालयी सांस्कृतिक विरासतों का उच्च शिक्षा में शोध एवं प्रबंधन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं।  इस कार्यक्रम में पर्यावरणविद एवं समाजसेवी श्री मदन सिंह बिष्ट को मैती संस्था द्वारा वसुंधरा अमृत सम्मान भी प्रदान किया गया।

इस कार्यक्रम में हेमवती नन्दन बहुगुणा गढवाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि के रूप मे प्रो० विजयकांत पुरोहित, प्रो० बबीता पाटनी, डॉ० सर्वेश उनियाल, इंजीनियर डोभाल, संतोष रावत के साथ छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि के रूप में संकायाध्यक्ष कला प्रो० इंदु पाठक, संकायाध्यक्ष विज्ञान प्रो० चित्रा पाण्डे, संकायाध्यक्ष बायोमेडिकल साइंस एवं परीक्षा नियंत्रक डॉ० महेंद्र राणा, विभागाध्यक्ष गृह विज्ञान प्रो० लता पाण्डे, डॉ० लज्जा भट्टज, क्षक्रीड़ा अधिकारी डॉ० नागेंद्र शर्मा, डॉ० जीवन उपाध्याय के साथ इंटीग्रेटेड बी०एड० पाठ्यक्रम के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।वृक्षारोपण कार्यक्रम के उपरांत इन्टीग्रेटेड बी एड प्रोग्राम के छात्र छात्राओं द्वारा कलश यात्रा नैनादेवी मन्दिर तक निकाली गई जहां पूजा अर्चना करने के बाद अलकनंदा नदी श्रीनगर से लाए गये गंगा जल को नैनी सरोवर में अर्पित किया गया तथा नैनी सरोवर के जल को कलश यात्रा ने श्रीनगर के लिए प्रस्थान किया। वहां इस जल को अलकनंदा नदी में प्रवाहित किया जाएगा।

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