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उत्तराखंड

*शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से मुक्त रखा जाए*

उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मतदाता सूची तैयार करने और पुनरीक्षण कार्य के लिए शिक्षकों को बीएलओ (बॉलेट लेवल ऑफिसर) ड्यूटी में लगाने के आदेश जारी होने से प्रदेश के शिक्षक संगठन में भारी आक्रोश व्याप्त है। शिक्षक संगठन का कहना है कि गैर-शैक्षणिक दायित्वों से शिक्षकों को मुक्त रखने का स्पष्ट शासनादेश होने के बावजूद इस तरह की ड्यूटी लगाना शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह प्रभावित करेगा।

उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय पदाधिकारी मनोज तिवारी ने बताया कि सरकार द्वारा शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखने का आदेश दिया गया है, लेकिन इसके विपरीत बीएलओ ड्यूटी में शिक्षकों को लगाने से नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में अधिकांश विद्यालय एक या दो शिक्षकों के भरोसे हैं, जिन पर पहले से ही कई गैर-शैक्षणिक जिम्मेदारियां हैं।

शिक्षक संगठन ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त उत्तराखंड को इस बाबत पत्र भेजकर शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से मुक्त रखने की मांग की है। साथ ही मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से भी तत्काल हस्तक्षेप की अपील की गई है। संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि इस ड्यूटी के लिए प्रधानाचार्य या प्रभारी प्रधानाध्यापकों को लगाया गया तो उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार संचालित मध्यान भोजन योजना प्रभावित होगी, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना मानी जाएगी।

मनोज तिवारी ने कहा, “शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से अलग करना अनिवार्य है, अन्यथा प्रदेश की शैक्षिक व्यवस्था चरमरा जाएगी और बच्चों के भविष्य को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।” शिक्षक संगठन ने शासनादेश का पालन सुनिश्चित कराने और शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से शीघ्र मुक्त कराने की मांग दोहराई है।

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