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उत्तराखंड

*संपत्ति, विवाह और तलाक पर एक समान कानून की शुरुआतः धामी*

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में भाग लेते हुए राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के प्रयासों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में यूसीसी को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए मजबूत प्रणाली विकसित की गई है, जिसमें एक समर्पित पोर्टल, मोबाइल ऐप और 14,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटरों को जोड़ा गया है।

यूसीसी के तहत रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए ग्रीवेंस रिड्रेसल और ऑटो एस्केलेशन सिस्टम भी लागू किया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि चार माह की अवधि में ही राज्यभर से डेढ़ लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें 98% गाँवों की भागीदारी रही है। इससे स्पष्ट होता है कि यूसीसी को व्यापक जन समर्थन प्राप्त हो रहा है।

यूसीसी को लागू करने की दिशा में उत्तराखंड सरकार ने विधानसभा चुनावों के समय किया गया वादा निभाया। मुख्यमंत्री ने बताया कि चुनावों में विजय के तुरंत बाद 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई, जिसने 13 जिलों में व्यापक जनसंवाद किया और 2 लाख 32 हजार से अधिक सुझाव जुटाए। इसके आधार पर विधेयक तैयार कर 7 फरवरी 2024 को विधानसभा से पारित किया गया और राष्ट्रपति की स्वीकृति 11 मार्च 2024 को मिली।

27 जनवरी 2025 को यूसीसी को पूरे उत्तराखंड में लागू कर दिया गया, जिससे राज्य संविधान के अनुच्छेद 44 की भावना को साकार करने वाला पहला राज्य बना। मुख्यमंत्री धामी ने इस ऐतिहासिक पहल में प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन और सहयोग के लिए आभार जताया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता का उद्देश्य जाति, धर्म और लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त कर सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करना है। यूसीसी के अंतर्गत विवाह, तलाक, और उत्तराधिकार जैसे मामलों में एक समान कानूनी प्रक्रिया तय की गई है। बहुविवाह, हलाला, इद्दत, तीन तलाक जैसी प्रथाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।

इसके अतिरिक्त, अब बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा और लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण को अनिवार्य कर पारिवारिक संरचना और युवा सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। जन्म व मृत्यु की भांति अब विवाह और विवाह विच्छेद का भी पंजीकरण किया जाएगा। माता-पिता को बच्चों की संपत्ति में अधिकार देकर बुजुर्गों की आर्थिक सुरक्षा भी सुनिश्चित की गई है।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यूसीसी किसी धर्म के विरुद्ध नहीं है, बल्कि यह समाज से कुप्रथाओं को हटाकर समरसता और समानता लाने का एक संवैधानिक प्रयास है।

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