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उत्तराखंड

*लेखन और सोशल मीडिया में नए युग का आरंभः शोभा डे*

नैनीताल।प्रसिद्ध भारतीय लेखिका और उपन्यासकार शोभा डे ने नैनीताल में अपने विचार साझा करते हुए कहा कि वर्तमान में सोशल मीडिया का बढ़ता प्रचलन जनहित में है, क्योंकि इसने लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र को सुलभ बना दिया है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से अब कोई भी व्यक्ति, चाहे वह पत्रकार हो या लेखक, अपनी बात समाज तक पहुंचा सकता है। इसके साथ ही, उन्होंने ए.आई. (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) प्रणाली को भी उपयोगी बताया और कहा कि यह लेखन में सुधार ला सकती है और नई दिशा दे सकती है।

शोभा डे ने लेखन के क्षेत्र में आए बदलावों पर भी चर्चा की और बताया कि इन बदलावों के कारण नए लेखक समाज में उभरकर सामने आ रहे हैं। उनका मानना है कि इन बदलावों ने लेखन को अधिक सशक्त और विविध बना दिया है।

शोभा डे का संक्षिप्त परिचय
शोभा डे का जन्म 7 जनवरी 1948 को हुआ था। वे एक प्रतिष्ठित लेखिका, उपन्यासकार, स्तंभकार और ब्लॉगर हैं। उन्होंने साहित्य, पत्रकारिता, मॉडलिंग, और टीवी लेखन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है। शोभा डे अपनी बेबाक शैली और मुखर विचारों के लिए जानी जाती हैं, और वे आज भी साहित्यिक और सामाजिक मंचों पर चर्चाओं का विषय बनी रहती हैं।

शोभा डे की शिक्षा और करियर

शोभा डे का बचपन का नाम शोभा राजाध्यक्ष था। उन्होंने क्वीन मैरी स्कूल, मुंबई से स्कूली शिक्षा पूरी की और इसके बाद सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई से मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

मॉडलिंग और पत्रकारिता

अपनी युवावस्था में शोभा ने मॉडलिंग में कदम रखा और इसमें ख्याति प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने पत्रकारिता की ओर रुख किया और प्रसिद्ध फिल्म और लाइफस्टाइल पत्रिकाओं — स्टारडस्ट, सोसाइटी और सेलेब्रिटी का संपादन किया, जिनकी उनके संपादनकाल में लोकप्रियता में काफी वृद्धि हुई।

लेखन करियर

शोभा डे ने 1989 में अपने उपन्यास “सोशलाइट इवनिंग्स” के साथ लेखन की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने कई सफल उपन्यास लिखे, जिनमें “सिस्टर्स”, “द लास्ट नॉक”, और “आई लव यू एंड आई लव यू नॉट” प्रमुख हैं। उनके लेखन में शहरी जीवनशैली, स्त्री स्वतंत्रता, और उच्च वर्ग के समाज की झलक मिलती है।

टेलीविजन योगदान

शोभा डे ने टीवी लेखन में भी अपनी जगह बनाई है। उनका लिखा “स्वामिभान” धारावाहिक भारतीय टेलीविजन का दूसरा डेली सोप माना जाता है। इसके अलावा, वे टाइम्स ऑफ इंडिया की “संडे मैगजीन” के लिए नियमित रूप से कॉलम लिखती रही हैं, जिसमें वे मुंबई की प्रसिद्ध हस्तियों और समाज के बदलते परिपेक्ष्य पर विचार व्यक्त करती हैं।

विवाद और सार्वजनिक छवि

शोभा डे अपने स्पष्ट और बेबाक विचारों के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी और बयानों में अक्सर विवाद उत्पन्न होते हैं, लेकिन यही उन्हें एक प्रभावशाली और सशक्त लेखिका बनाता है।

साहित्यिक समारोहों में सक्रिय भागीदारी

वह देश-विदेश में आयोजित साहित्यिक उत्सवों में नियमित रूप से भाग लेती हैं और विशेष रूप से बेंगलुरु लिटरेरी फेस्टिवल में एक प्रमुख वक्ता के रूप में अपनी भागीदारी निभाती रही हैं।

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