उत्तराखंड
*सत्यापन अभियान में स्थिति स्पष्ट करे नैनीताल पुलिस, स्थानीय निवासियों में असमंजस*
नैनीताल। नगर पालिका क्षेत्र नैनीताल में पुलिस द्वारा चलाए जा रहे सत्यापन अभियान को लेकर अब स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है।
सत्यापन प्रक्रिया का उद्देश्य जहां बाहरी व्यक्तियों की पहचान सुनिश्चित कर प्रदेश की सांस्कृतिक संरचना को सुरक्षित रखना है, वहीं उत्तराखंड के मूल निवासी मकान मालिकों से भी भूमि दस्तावेज, मूल निवास प्रमाण पत्र, खाता-खतौनी और रजिस्ट्री जैसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जिससे स्थानीय नागरिकों में असमंजस की स्थिति बन गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सत्यापन के लिए जारी प्रारूप में उत्तराखंड से बाहर के नागरिकों के सत्यापन की बात कही गई है, लेकिन इसके बावजूद स्थायी रूप से नैनीताल में रह रहे स्थानीय निवासियों से भी उन्हीं दस्तावेजों की मांग की जा रही है।
इसके अतिरिक्त सत्यापन प्रारूप के दूसरे पृष्ठ पर “संदिग्ध व्यक्ति एवं उसके परिजनों के उंगलियों के निशान” जैसी असंवेदनशील भाषा का उपयोग किया गया है, जिससे कई स्थानीय निवासियों ने आपत्ति जताई है।
अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता हरीश सिंह राणा ने इस संबंध में सवाल उठाया है कि क्या पुलिस के पास स्थानीय नागरिकों से जमीन के दस्तावेज, रजिस्ट्री आदि की मांग करने का अधिकार है? उन्होंने कहा कि यह मामला जनमानस की गरिमा और निजता से जुड़ा हुआ है और पुलिस को इस संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए, जिससे आम नागरिकों में भ्रम की स्थिति न बने।
बाहरी व्यक्तियों के सत्यापन के पीछे सरकार का उद्देश्य प्रदेश में सांस्कृतिक और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है, लेकिन जब स्थानीय निवासियों को भी संदेह के घेरे में रखा जाने लगे, तो इससे नीति का उद्देश्य धुंधला पड़ता है।
जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नैनीताल पुलिस और जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि इस मुद्दे पर जल्द स्पष्टीकरण और उचित मार्गदर्शन जारी किया जाए, ताकि सत्यापन अभियान में पारदर्शिता और संवेदनशीलता बनी रहे।







