उत्तराखंड
*विलय के संबंध में वित्त सचिव से मिले नैनीताल बैंक कर्मी*
नैनीताल बैंक का विनिवेश कर निजी हाथों में बेचे जाने के विरोध में तथा बैंक में कार्यरत कर्मचारियों के भविष्य पर कोई जवाब न दिए जाने के चलते, यूनियन और प्रबंधन के बीच चले आ रही लंबी खींचतान के बीच नैनीताल बैंक स्टाफ एसोसिएशन और नैनीताल बैंक ऑफिसर एसोसिएशन के संयुक्त मोर्चे के झंडे तले वित्त सचिव, वित्त सेवा विभाग,भारत सरकार एम० नागराजू से भेंट की।
मुलाकात के दौरान संयुक्त मोर्चे के अधिकारियों ने सचिव को बताया कि नैनीताल बैंक के बैंक ऑफ बरोदा में विलय की माँग लंबे समय से प्रस्तावित है जिसमे उपयुक्त दिशा में कदम त्वरित प्रभाव से उठाने की आवश्यकता हैं।
ज्ञात रहे कि नैनीताल बैंक,1922 में स्थापित एक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक है, जो एक सदी से भी अधिक समय से उत्तराखंड राज्य के विकास से जुड़ा हुआ है। नैनीताल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा के स्वामित्व वाला बैंक है जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा 98.57% हिस्सेदारी रखता है I
वर्ष 2018 से ही बैंक ऑफ़ बड़ौदा नैनीताल बैंक के विनिवेश के नाम पर प्राइवेट हाथों में देने की कोशिश कर रहा है। 2018 में नैनीताल बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन द्वारा लोकसभा की याचिका समिति में वाद दायर किया था जिसके फलस्वरूप याचिका समिति ने वर्ष 2018 में अपनी 59वीं रिपोर्ट के तहत नैनीताल बैंक को बैंक ऑफ़ बड़ौदा में विलय करने की संस्तुति दी थी तथा पुनः वर्ष 2020 में अपनी 4th रिपोर्ट में नैनीताल बैंक के बैंक ऑफ़ बड़ौदा में विलय करने की संस्तुति दी थी। देश की संसदीय समिति की संस्तुति को दरकिनार कर पुनः बैंक ऑफ़ बड़ौदा द्वारा दिसंबर 2022 में नैनीताल बैंक के विनिवेश हेतु विज्ञप्ति निकाली थी जिसके तहत नैनीताल बैंक का प्रबंधन कुछ चुनिंदा घरानों को दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें अजीम प्रेमजी, अजय पीरामल कई अन्य के नाम विभिन्न समाचार पत्रों में उजागर हुए हैं
नैनीताल बैंक के कर्मचारी विनिवेश की स्थिति में अपनी सेवा शर्तों के परिवर्तित होने को लेकर चिंतित हैं। सेवा शर्तों के सुरक्षित रहने के सवाल पर नैनीताल बैंक प्रबंधन और बैंक ऑफ़ बड़ौदा प्रबंधन का कहना है की कर्मचारियों की सेवा शर्तें आने वाला इन्वेस्टर ही तय करेगा जिसको लेकर कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है।
संयुक्त मोर्चे की ओर से अध्यक्ष एन०बी०एस० ए अभय गुप्ता ने बताया कि RBI द्वारा वर्ष 2006, 2014, 2018, 2020 एवम 2022 में तथा याचिका समिति – लोकसभा द्वारा वर्ष 2018 एवम 2020 में नैनीताल बैंक को बैंक ऑफ़ बड़ौदा में विलय करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। उक्त निर्देशों को दरकिनार करते हुए, बैंक ऑफ बड़ौदा प्रबंधन द्वारा अपनी हिस्सेदारी को प्राइवेट हाथों में देने हेतु निविदा निकालना स्पष्ट रूप से निहित स्वार्थों और दुर्भावनापूर्ण इरादों को दर्शाता है।
मुलाकात के दौरान सचिव ने गहनता से मोर्चे की बात सुनी और यथाशीघ्र इस दिशा मे ठोस कदम उठाने की बात की। मुलाकात के लिये संयुक्त मोर्चे की अगुवाई अभय गुप्ता ने की और रजत साह, पीयूष पयाल,चंद्रशेखर कन्याल, हेमजोशी और प्रवीण रावत मौजूद रहे।
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