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माता जिया रानी महिला अध्ययन केंद्र कुविवि नैनीताल में कोकोडेमा निर्माण पर कार्यशाला, छात्र-छात्राओं में दिखा उत्साह
नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल के अंतर्गत संचालित माता जिया रानी महिला अध्ययन केंद्र में चल रही तीन दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन भी प्रतिभागियों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को कोकोडेमा निर्माण की तकनीक सिखाई गई, जो एक पारंपरिक जापानी गार्डनिंग विधि है और वर्तमान में सस्टेनेबल प्रोडक्ट्स की श्रेणी में गिनी जाती है।
कार्यशाला के दौरान केंद्र की प्राध्यापक डॉ. किरण तिवारी ने मल्टी लेयर प्लास्टिक की संरचना, उसके उपयोग और पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर एक प्रभावशाली प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। इसके पश्चात उन्होंने प्रतिभागियों को प्लास्टिक फैब्रिक मेकिंग की प्रक्रिया समझाई और बताया कि किस प्रकार प्लास्टिक को पुनः उपयोग कर अनेक प्रकार की उपयोगी वस्तुएं तैयार की जा सकती हैं।
एक अन्य सत्र में प्रतिभागियों को बताया गया कि मंदिरों में उपयोग होने वाले नारियल के रेशों से किस प्रकार कोकोपीट निकालकर उपयोगी वस्तुएं बनाई जा सकती हैं, जिनकी मार्केट में बिक्री भी संभव है। सभी प्रतिभागियों ने कोकोडेमा बनाना सीखा और विभिन्न प्रकार की आकर्षक कलाकृतियाँ तैयार कीं।
कार्यक्रम में लगभग 80 छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों, महिला समूहों और विद्यालयों की शिक्षिकाओं ने प्रतिभाग किया। केंद्र की निदेशक ने बताया कि माता जिया रानी महिला अध्ययन केंद्र का उद्देश्य विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देकर उन्हें हुनरमंद बनाना और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित करना है। उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र में एम.ए. की कक्षाएं संचालित हो रही हैं, जिनमें डिग्री के साथ-साथ विद्यार्थियों को स्वरोजगार से जुड़ी व्यावहारिक दक्षता भी प्रदान की जा रही है।
कार्यशाला के समापन पर प्रो. नीता बोरा शर्मा और डॉ. किरण तिवारी ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर बीएसएसवी स्कूल की शिक्षिकाएं मीनाक्षी बिष्ट, भावना शाह, मोहनलाल शाह बाल विद्या मंदिर की परमिला बिष्ट, निशांत स्कूल की शिक्षिका ममता, प्रकृति समूह, देवरानी-जेठानी स्वयं सहायता समूह के सदस्य, एवं डीएसबी परिसर के विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की सभी प्रतिभागियों, शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं अतिथियों ने सराहना की और भविष्य में इस तरह के आयोजन नियमित रूप से आयोजित करने की मांग की।



