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उत्तराखंड

*उत्तराखंड में लोकायुक्त गठन पर 12 साल बाद भी खींचतान, धामी सरकार से उम्मीदें*

उत्तराखंड में लोकायुक्त का गठन पिछले 12 वर्षों से लंबित है, और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में लोकायुक्त चयन समिति की बैठक बुलाई है। हालांकि, इस मुद्दे का समाधान अब तक नहीं निकल पाया है, और यह चयन समिति के हाथों में ही अटका हुआ है। आगामी बैठक मार्च में आयोजित की जाएगी, जिसमें लोकायुक्त चयन समिति के सदस्यों का चयन और सर्च कमेटी के गठन पर चर्चा की जाएगी।

लोकपाल गठन के बाद, देश भर में राज्यों में लोकायुक्त की स्थापना का मुद्दा राष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण बन गया, खासकर अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान। इसके बाद केंद्र सरकार ने लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 पारित किया, और राज्यों में लोकायुक्त के गठन की प्रक्रिया शुरू होनी थी। उत्तराखंड में लोकायुक्त का गठन पहली बार खंडूड़ी सरकार के दौरान 2012 में प्रस्तावित हुआ था। हालांकि, विधानसभा चुनाव के बाद यह मुद्दा राजनीति के जाल में फंस गया और आगे नहीं बढ़ पाया।

उत्तराखंड में 2002 में पहले लोकायुक्त का गठन हुआ था, लेकिन इसे कमजोर और अप्रभावी माना गया। 2002 से 2012 तक दो लोकायुक्तों ने अपनी जिम्मेदारी निभाई, लेकिन इसके बाद एक मजबूत लोकायुक्त के गठन की कोशिशें लगातार जारी रही हैं, जो आज तक पूरी नहीं हो पाई हैं।

लोकायुक्त का गठन राजनीति के किचकिच में फंस कर रह गया। कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर कई बार मतभेद उभर चुके हैं। 2014 में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए लोकायुक्त में संशोधन किया, लेकिन वह संशोधित बिल राजभवन से आपत्तियों के कारण सरकार को वापस भेज दिया गया। इसके बाद से लोकायुक्त के गठन की प्रक्रिया राजनीतिक बैठकों में उलझ कर रह गई।

कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर आक्रामक नजर आ रही है। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने जोर देते हुए कहा कि लोकायुक्त का गठन अब और टालने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों को देखते हुए लोकायुक्त की स्थापना अत्यंत आवश्यक हो गई है।

बीजेपी प्रवक्ता खजान दास ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की नीति को स्पष्ट कर चुके हैं और लोकायुक्त के गठन के लिए शीघ्र ही कदम उठाए जाएंगे। उनका दावा है कि मुख्यमंत्री जो ठान लेते हैं, उसे पूरा करके दिखाते हैं।

लंबे समय से लोकायुक्त कार्यालय 2002 से संचालित हो रहा है, लेकिन 12 साल से लोकायुक्त का गठन नहीं होने के कारण यह कार्यालय बिना कार्य के खड़ा है। इसके बावजूद, यहां भारी संख्या में शिकायतें पहुंच रही हैं, लेकिन लोकायुक्त न होने के कारण इन पर विचार नहीं हो पा रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में लोकायुक्त समिति की बैठक ने एक नई उम्मीद जगाई है, और प्रदेशवासियों को उम्मीद है कि जल्द ही लोकायुक्त का गठन होगा।

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