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**उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के प्रावधानों को लेकर अधिवक्ताओं में असंतोष*  

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**उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के प्रावधानों को लेकर अधिवक्ताओं में असंतोष*

 

नैनीताल। उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू की गई समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कुछ प्रावधानों को लेकर प्रदेशभर के अधिवक्ताओं में असंतोष बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को विभिन्न बार एसोसिएशनों के पूर्व पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधि मंडल ने बार काउंसिल के अध्यक्ष महेंद्र सिंह पाल और सदस्य सचिव मेहरबान सिंह कोरंगा से मुलाकात की और इस मामले में अपना विरोध दर्ज करते हुए एक ज्ञापन सौंपा।

 

प्रतिनिधि मंडल ने ज्ञापन के माध्यम से सरकार से मांग की कि विवाह पंजीकरण, उत्तराधिकार, वसीयत और रजिस्ट्री से संबंधित प्रावधानों को पेपरलेस और ऑनलाइन किए जाने के निर्णय पर उचित कार्यवाही की जाए। अधिवक्ताओं का कहना है कि इन प्रावधानों में कई विधिक कमियां हैं, जिनके कारण न केवल अधिवक्ताओं की भूमिका को नकारा गया है, बल्कि कानून के दुरुपयोग की संभावनाएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

 

अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी है कि पंजीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी से विवाद उत्पन्न हो सकते हैं, जो आम जनता के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं। उन्होंने इसे अधिवक्ताओं और आम जन के हितों के खिलाफ बताया और सरकार से इन प्रावधानों पर पुनर्विचार की अपील की।

 

ज्ञापन सौंपने वालों में हल्द्वानी बार के पूर्व अध्यक्ष गोविंद सिंह बिष्ट, पूर्व सचिव विनीत परिहार, हाईकोर्ट बार के पूर्व अध्यक्ष डीसीएस रावत, पूर्व अध्यक्ष सैय्यद नदीम, पूर्व सचिव विकास बहुगुणा, पूर्व सचिव सौरभ अधिकारी, जिला बार नैनीताल के पूर्व सचिव दीपक रूबाली, पूर्व उपाध्यक्ष प्रदीप परगाई, पूर्व उपाध्यक्ष पंकज चौहान और अधिवक्ता आदित्य कुमार शामिल थे।

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