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उत्तराखंड

*धराली आपदाः अब तक 1278 लोगों का रेस्क्यू , 43 लापता, राहत पैकेज पर काम जारी*

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उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में आई आपदा पर बड़ी अपडेट सामने आई है। उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में आई विनाशकारी आपदा को लेकर गढ़वाल मंडलायुक्त विनय शंकर पाण्डेय ने सोमवार को उत्तरकाशी स्थित आपदा नियंत्रण कक्ष में एक महत्वपूर्ण मीडिया ब्रीफिंग की। उन्होंने आपदा राहत, बचाव, पुनर्वास एवं लापता लोगों की खोजबीन से जुड़ी समस्त कार्रवाई की विस्तारपूर्वक जानकारी दी।

मंडलायुक्त ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रभावित परिवारों को ₹5 लाख प्रति व्यक्ति की दर से अनुग्रह राशि का वितरण शुरू कर दिया गया है। साथ ही, प्रभावितों के दीर्घकालिक पुनर्वास हेतु एक विशेष राहत पैकेज तैयार किया जा रहा है। इसके लिए राजस्व सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है, जो नुकसान का आकलन कर पीड़ितों से सीधा संवाद करेगी। समिति के सदस्य आज ही उत्तरकाशी पहुंचेंगे।

मंडलायुक्त ने बताया कि आपदा क्षेत्र में युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया है, जिसके तहत अब तक 1278 लोगों को सुरक्षित निकाला गया। इसमें बाहरी पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय जरूरतमंद लोगों को भी राहत दी गई है। मलवे में दबे लोगों की तलाश सर्वोच्च प्राथमिकता पर है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जिला प्रशासन और विशेषज्ञ भूवैज्ञानिकों की टीम मौके पर डटी हुई हैं।

अब तक की जानकारी के अनुसार, इस आपदा में 43 लोग लापता बताए गए थे, जिनमें से धराली के युवक आकाश पंवार का शव बरामद हुआ है। शेष 42 लापता लोगों में 9 सेना के जवान, धराली के 8 स्थानीय निवासी, आसपास के 5 ग्रामीण, टिहरी जिले का 1, बिहार के 13, और उत्तर प्रदेश के 6 लोग शामिल हैं।

इसके अलावा, 29 नेपाली मजदूरों के लापता होने की सूचना थी, जिनमें से 5 से मोबाइल नेटवर्क बहाल होने के बाद संपर्क हो चुका है। शेष 24 के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। माना जा रहा है कि कई मजदूर अन्यत्र स्थानों पर चले गए होंगे, जैसा कि केदारनाथ आपदा में भी देखा गया था। अन्य राज्यों के लापता लोगों के बारे में भी खोजबीन जारी है और 1-2 दिन में स्थिति स्पष्ट हो सकती है।

मंडलायुक्त ने जानकारी दी कि हर्षिल में भागीरथी नदी पर बनी झील से पानी निकालने का कार्य शुरू कर दिया गया है। इसमें सिंचाई विभाग एवं उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड मिलकर कार्य कर रहे हैं ताकि भविष्य में संभावित बाढ़ से बचा जा सके।

क्षेत्र में सड़क संपर्क बहाली भी तेजी से की जा रही है। लिमच्यागाड़ में वैली ब्रिज बनाकर भारी मशीनों को डबरानी तक पहुंचा दिया गया है। डबरानी–सोनगाड़ क्षेत्र की क्षतिग्रस्त सड़कों को ठीक करने का काम जारी है और मंगलवार शाम तक संपर्क बहाल होने की उम्मीद है।

डबरानी से सोनगाड़ तक लगभग 5 किमी पैदल मार्ग पर हेल्प पोस्ट, मेडिकल कैम्प, एसडीआरएफ की तैनाती और वायरलेस नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। प्रभावित क्षेत्रों में खच्चरों के जरिए गैस सिलेंडर और आवश्यक सामग्री पहुंचाई जा रही है। सड़क बाधित होने के बावजूद ट्रांसशिपमेंट के माध्यम से आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।

आपदा मित्रों और पंचायतराज विभाग के माध्यम से प्रभावित गांवों से संपर्क बनाए रखा गया है। संचार व्यवस्था सामान्य है और आपदा नियंत्रण कक्ष चौबीसों घंटे कार्यरत है।

इस पूरे ऑपरेशन में पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल परिक्षेत्र  राजीव स्वरूप, एसडीआरएफ के आईजी, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी निरंतर मौके पर कैंप कर रहे हैं।

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