उत्तराखंड
*कांग्रेस कार्यालय बना संघर्ष का केंद्र, कब्जे और लाठीचार्ज पर मचा बवाल*
उत्तराखंड की राजनीति इन दिनों गरमाई हुई है। रामनगर स्थित कांग्रेस कार्यालय को लेकर छिड़ा विवाद सोमवार को जहां एक राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित था, वहीं मंगलवार तड़के यह विवाद बवाल में तब्दील हो गया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उनके कार्यालय पर जबरन कब्जा करने की कोशिश की गई और जब कार्यकर्ताओं ने शांतिपूर्वक विरोध किया, तो देर रात पुलिस ने बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज किया, जिसमें कई कार्यकर्ता घायल हो गए।
रामनगर में कांग्रेस कार्यालय पर विवाद की शुरुआत सोमवार सुबह हुई, जो मंगलवार रात करीब 2 बजे तक जारी रही। घटनास्थल पर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता पहुंचे और विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। इनमें नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन चंद्र कापड़ी, हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश, मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन और जसपुर विधायक आदेश चौहान शामिल थे।
ब्लॉक प्रमुख विक्रम रावत ने दावा किया कि वह अपने भाई के साथ एक कोने में खड़े थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें भी नहीं बख्शा। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस पहले से ही हमले की रणनीति बनाकर बैठी थी और जैसे ही मौका मिला, लाठीचार्ज कर दिया गया।
पूर्व सैनिक और कांग्रेस कार्यकर्ता देशबंधु रावत ने बताया कि वे कार्यालय के बाहर शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे। तभी पार्किंग को लेकर किसी व्यक्ति से हल्की बहस हुई, जिसके तुरंत बाद पुलिस ने हमला कर दिया। उन्होंने कोतवाल अरुण कुमार सैनी और एसआई अनीश अहमद पर लाठीचार्ज का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पूरे शरीर पर गंभीर चोटें आई हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने लाठीचार्ज को लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया। उन्होंने सवाल किया कि जब धरने में कोई महिला मौजूद नहीं थी, तो महिला कांस्टेबलों की तैनाती क्यों की गई? माहरा ने यह भी आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश से असामाजिक तत्वों को बुलाकर कांग्रेस कार्यालय में बैठाया गया और उनकी सुरक्षा में स्थानीय पुलिस को लगाया गया है।
करन माहरा ने स्पष्ट किया कि यह मामला एक निजी संपत्ति विवाद का है, जिसे अदालत या बातचीत से सुलझाया जा सकता था। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि धारा 145 लगाकर यथास्थिति बहाल की जाए और कथित बाहरी लोगों को तत्काल हटाया जाए। कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, पार्टी कार्यकर्ता धरना स्थल पर डटे रहेंगे।
कांग्रेस ने इस घटना को विपक्ष की आवाज को दबाने की “साजिश” करार दिया है और संकेत दिए हैं कि यह विवाद आगामी चुनावों में एक अहम राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।







