उत्तराखंड
*उत्तराखंड में ठंड और बर्फबारी का कहर, ला नीना से मौसम में बदलाव के आसार*
उत्तराखंड में इस समय ठंड का प्रकोप अपने चरम पर है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। जहां मैदानी इलाकों में शीतलहर का प्रकोप है, वहीं पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी जारी है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बार ठंड में अत्यधिक वृद्धि हो सकती है और आने वाले दिनों में बारिश भी लोगों को परेशान कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल मानसून में भी भारी बारिश की संभावना है। आइए, जानते हैं इसके कारण और इसके प्रभाव के बारे में।
हिमालय में इस बार बर्फबारी का स्तर पिछले सालों के मुकाबले बहुत अधिक हो सकता है। जनवरी महीने में ठंड और बर्फबारी में वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में उन स्थानों पर भी बर्फबारी हो सकती है, जहां पहले कभी बर्फबारी नहीं हुई थी। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ और ला नीना के प्रभाव से मौसम में गहरा बदलाव आएगा, विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्रों में। यह बदलाव पर्यावरण और कृषि के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
ला नीना का प्रभाव पहले ही शुरू हो चुका था, और इसने हिमालयी क्षेत्रों में मौसम को अचानक बदल दिया। दिसंबर में पहाड़ों में बर्फबारी की कमी महसूस हो रही थी, लेकिन अब अचानक बर्फबारी हो गई है। आर्यभट्ट विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र के मुताबिक, ला नीना का असर पहले से ही महसूस किया जा रहा है और यह संभावना जताई गई थी कि इसकी प्रबलता 60% तक हो सकती है, जो अब सही साबित हो रही है। इस बार ऐसी जगहों पर भी बर्फबारी हो सकती है, जहां पहले कभी बर्फबारी नहीं हुई थी।
मौसम वैज्ञानिक बीरेंद्र सिंह का कहना है कि ला नीना का असर केवल कुछ दिनों तक नहीं रहेगा, बल्कि इसके प्रभाव को अगले तीन महीनों तक देखा जा सकता है। बर्फबारी में वृद्धि, जो पिछले कुछ वर्षों में कम हो रही थी, इस बार अधिक हो सकती है। वे मानते हैं कि इस साल बारिश भी अधिक हो सकती है, जिससे मानसून का असर उत्तराखंड और अन्य राज्यों में अधिक देखा जा सकता है।
इस बदलाव का एक सकारात्मक पहलू यह है कि अत्यधिक बर्फबारी कृषि के लिए लाभकारी हो सकती है। पहाड़ी क्षेत्रों में कई ऐसी फसलें हैं, जो बर्फबारी का इंतजार करती हैं। यदि बर्फबारी अधिक होती है, तो इन फसलों की पैदावार में वृद्धि हो सकती है, जो किसानों के लिए फायदेमंद होगी।
मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, ला नीना का असर केवल उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में देखा जा सकता है। यदि ला नीना का प्रभाव बढ़ता है, तो आने वाला मानसून बहुत प्रभावी हो सकता है। इसका असर तेज हवाओं और लंबे समय तक ठंड के रूप में महसूस हो सकता है। इस साल उत्तराखंड में अधिक बारिश की संभावना जताई जा रही है।
ला नीना एक मौसमीय घटना है, जो समुद्र की सतह के तापमान में गिरावट से जुड़ी होती है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के मुताबिक, ला नीना का प्रभाव फरवरी 2025 तक बढ़ सकता है। यह प्रभाव खासतौर पर भारत में मानसून के मौसम में देखा जाता है, जिससे अधिक बारिश और उत्तरी भारत में सामान्य से अधिक ठंड होती है।
इस प्रकार, उत्तराखंड और भारत में ला नीना का प्रभाव ठंड, बर्फबारी और बारिश में वृद्धि का कारण बन सकता है, जिससे मौसम में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
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