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उत्तराखंड

*नैनीताल: आत्महत्या के लिए उकसाने के सभी छह आरोपी अदालत से दोषमुक्त*

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नैनीताल के प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विक्रम की अदालत ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में सभी छह आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। यह मामला 17 अप्रैल 2020 को मल्लीताल क्षेत्र में घटित हुआ था, जब नाबालिग राहुल प्रसाद ने एक पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली थी। राहुल के पिता, रमेश प्रसाद ने इस मामले में छह लोगों पर आरोप लगाया था कि वे उनके बेटे को आत्महत्या के लिए उकसाने के जिम्मेदार थे।

रमेश प्रसाद का आरोप था कि राहुल पर उनके पड़ोसी आनंद राम की नाबालिग बेटी द्वारा एक बच्ची को जन्म देने का आरोप लगाया गया था। इस आरोप के बाद फरवरी 2020 में राहुल को बाल सुधार गृह हल्द्वानी भेजा गया था। बाद में 29 फरवरी 2020 को वह सुधार गृह से रिहा हो गया, लेकिन उसे लगातार शादी करने के लिए दबाव डाला गया और ताने दिए गए। रमेश प्रसाद ने यह दावा किया कि डीएनए रिपोर्ट के आधार पर उसने रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

पुलिस ने राहुल का डीएनए टेस्ट कराया, जो नेगेटिव आया। हालांकि, इस रिपोर्ट से पहले ही राहुल ने आत्महत्या कर ली थी। मामले में पुलिस ने अन्य परिवार के सदस्यों का भी डीएनए टेस्ट कराया, जिसमें राहुल के ससुर धनीराम और नवजात बच्ची का डीएनए मेल खाया, जिसके बाद दुराचार और पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।

मुकदमे की सुनवाई के दौरान अदालत ने गवाहों के बयानों, पुलिस रिपोर्ट और अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्यों का अध्ययन किया। गवाहों ने बताया कि राहुल आत्महत्या के बाद मानसिक रूप से परेशान था, क्योंकि उस पर शादी का दबाव डाला जा रहा था और उसकी बदनामी मीडिया में भी हुई थी। इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण था कि घटना के तीन महीने बाद रिपोर्ट दर्ज की गई, जिससे आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य प्रस्तुत करना मुश्किल हो गया।

इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अदालत ने सभी छह आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। न्यायालय ने कहा कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं हैं, जिससे उन्हें दोषी ठहराया जा सके।एमिकस क्यूरी अधिवक्ता बीसी जोशी , एमिकस क्यूरी सारिक अली खान, अखिल कुमार साह व भगवत प्रसाद  रहे

 

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