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उत्तराखंड

*अखिलेश सेमवाल ने उठाई हरेला को राजकीय पर्व बनाने की मांग*

उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरणीय चेतना को देखते हुए हरेला पर्व को राजकीय त्योहार घोषित किए जाने की मांग एक बार फिर से मुखर हो उठी है। इस संबंध में प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल उत्तराखंड के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अखिलेश सेमवाल ने मांग उठाई है कि सरकार इस पर्व को राज्य स्तर पर मान्यता देकर इसकी सांस्कृतिक और पर्यावरणीय भूमिका को सशक्त बनाए।

हरेला, विशेष रूप से कुमाऊं अंचल का एक प्रमुख पारंपरिक पर्व है, जिसे हरियाली, कृषि, पर्यावरण संरक्षण और लोकएकता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर पौधारोपण, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा, पारंपरिक लोकगीतों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

अखिलेश सेमवाल ने कहा कि यदि हरेला को राजकीय त्योहार का दर्जा दिया जाए तो इससे निम्नलिखित लाभ होंगे:

  • पर्यावरण संरक्षण को संस्थागत समर्थन मिलेगा, और पौधारोपण को जनांदोलन का रूप दिया जा सकेगा।

  • उत्तराखंड की कृषि परंपराओं और लोकसंस्कृति को मजबूती मिलेगी।

  • हरेला पर्व को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान प्राप्त होगी, जिससे उत्तराखंड की सांस्कृतिक छवि और सुदृढ़ होगी।

उन्होंने कहा कि राज्य के पर्वों और परंपराओं को सहेजना हम सभी की जिम्मेदारी है, और हरेला को राजकीय मान्यता देकर हम पर्यावरण और संस्कृति दोनों की सेवा कर सकते हैं।

प्रदेशभर के सांस्कृतिक संगठनों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों ने भी इस मांग का समर्थन करते हुए इसे उत्तराखंड की पहचान से जोड़ने की अपील की है।

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