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उत्तराखंड

*मुक्तेश्वर धाम में आयोजित होगा तीन दिवसीय रत्नत्रय आनंद महोत्सव*

नैनीताल। देवभूमि उत्तराखंड की पुण्य धरा मुक्तेश्वर धाम में पहली बार आध्यात्मिक चेतना से ओतप्रोत तीन दिवसीय रत्नत्रय आनंद महोत्सव एवं अंतर्मना दर्शन सम्मेलन का आयोजन 09 से 11 अप्रैल 2025 तक होने जा रहा है। इस भव्य आयोजन का मार्गदर्शन करेंगे अंतर्मना तपाचार्य प्रसन्न सागरजी महाराज, जो कि पहली बार अपने चतुर्विध संघ सहित नैनीताल पधार रहे हैं।

आचार्य के साथ सौम्य मूर्ति उपाध्याय मुनि पीयूष सागरजी महाराज भी आयोजन का कुशल निर्देशन करेंगे। महोत्सव में महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक, आचार्य का 37वां दीक्षा महोत्सव, और गुरुभक्ति से ओतप्रोत कई आयोजन सम्मिलित होंगे।

प्रमुख कार्यक्रम:

9 अप्रैल (बुधवार):
• 04:30 AM – दीप पूजन
• 09:45 AM – आहार चर्या
• 03:00 PM – गुरुपाद पूजा और प्रतिक्रमण सूत्र

10 अप्रैल (गुरुवार):
• महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक
• 08:45 AM – अभिषेक व शांतिधारा
• 01:30 PM – भव्य शोभायात्रा
• 02:30 PM – गुरुपाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट
• 03:35 PM – “अंतर्मना उवाच भाग-2” पुस्तक का विमोचन
• 03:45 PM – मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का उद्बोधन
• 06:45 PM – आनंद यात्रा व मंगल आरती

11 अप्रैल (शुक्रवार):
• 04:30 AM – दीप आराधना
• 03:15 PM – पाक्षिक प्रतिक्रमण व गुरुभक्ति समर्पण

विशेष उपस्थिति:

इस भव्य आयोजन में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे। साथ ही राजस्थान के राज्यपाल महामहिम हरिभाऊ बागड़े, सांसद अजय भट्ट, और विधायक रामसिंह कँडा विशिष्ट अतिथियों के रूप में शामिल होंगे।

आचार्य श्री का आध्यात्मिक योगदान:

557 दिन की अखंड मौन साधना, 496 दिन निर्जला उपवास और 5,000 से अधिक व्रत कर चुके आचार्य श्री के नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड सहित 100 से अधिक रिकॉर्ड दर्ज हैं। वियतनाम, लंदन और गुजरात यूनिवर्सिटी से उन्हें डॉक्टरेट की उपाधियाँ भी मिल चुकी हैं।

आचार्य श्री का संदेश –

“आज का मनुष्य भौतिक सुखों की दौड़ में प्रेम, शांति और संतोष से दूर होता जा रहा है। जीवन को सरल और आनंदमय बनाने के लिए आवश्यक है कि हम ईर्ष्या, प्रतिस्पर्धा और लोभ से ऊपर उठें।”

आचार्य श्री का मंगल विहार 2 मई को मुक्तेश्वर से बद्रीनाथ के लिए प्रस्तावित है, जो उनकी विराट साधना यात्रा का अगला पड़ाव होगा।

यह महोत्सव श्रद्धालुओं के लिए भक्ति, ज्ञान और आत्मिक ऊर्जा का अनुपम अवसर साबित होगा।

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