इवेंट
*एडवोकेट नारायण हर गुप्ता ने संवैधानिक सिद्धांत और आपराधिक न्याय पर दिया व्याख्यान*
चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, मोहाली में 11 जनवरी, 2025 को आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में एडवोकेट नारायण हर गुप्ता ने “संवैधानिक सिद्धांत और आपराधिक न्याय: अधिकारों की रक्षा और प्रणाली में सुधार” पर व्याख्यान दिया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य संवैधानिक सिद्धांतों और आपराधिक न्याय प्रणाली के बीच परस्पर क्रिया को समझना था, जो एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण कानूनी ढांचे को आकार देने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि माननीय न्यायमूर्ति संदीप मौदगिल, न्यायाधीश, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ थे। श्री गुप्ता ने अपने संबोधन में दुनिया के विभिन्न न्यायिक अधिकार क्षेत्रों, जैसे कि अमेरिकी संविधान के 5वें संशोधन और भारत के संविधान के अनुच्छेद 20(3) के तहत अभियुक्त के ‘चुप रहने के अधिकार’ पर चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय आपराधिक प्रक्रिया कानून और नए बीएनएसएस, 2023 में आरोपी के चुप रहने के अधिकार की कितनी अच्छी तरह रक्षा की गई है।
श्री गुप्ता ने अमेरिका और भारत के बीच एक महत्वपूर्ण तुलना की, जिसमें उन्होंने अमेरिकी धारणा “Right to Remain Silent” और भारतीय संविधान के तहत मौलिक अधिकार “Right Against Self-Incrimination” के बीच समानताओं और अंतर पर विचार किया। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि अमेरिकी स्वतंत्रता घोषणापत्र (1776) और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में ‘जीवन और स्वतंत्रता’ शब्द का प्रयोग किस प्रकार समान संदर्भ में किया गया है।
श्री नारायण हर गुप्ता का व्यावसायिक और शैक्षिक अनुभव भी अद्वितीय है। वकालत में आने से पहले, वह हरियाणा सिविल सेवा में सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समितियां के पद पर कार्यरत थे और उन्हें हरियाणा के राज्यपाल द्वारा सहकारिता मंत्री के साथ प्रतिनियुक्त किया गया था। इसके अलावा, उन्हें भारतीय नौसेना की जज एडवोकेट जनरल शाखा में सब-लेफ्टिनेंट (विधि) के पद पर भी चुना गया था।
श्री गुप्ता ने शैक्षणिक सम्मेलनों के लिए अमेरिका, रूस, जापान, फिलीपींस जैसे विश्व के अनेक देशों की यात्राएं की हैं और अपने अनुभवों के माध्यम से कानूनी शिक्षा और न्यायिक प्रणाली को वैश्विक दृष्टिकोण से समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका यह व्याख्यान भारतीय और वैश्विक कानूनी ढांचे के संबंध में एक महत्वपूर्ण योगदान था, जिसे सम्मेलन में उपस्थित सभी प्रतिभागियों ने सराहा।