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*आज रविवार 10 दिसंबर 2023 को है रवि प्रदोष व्रत जानिए शुभ मुहूर्त एवं कथा।*

*रविवार 10 दिसंबर 2023 को है रवि प्रदोष व्रत जानिए शुभ मुहूर्त एवं कथा।*

 

*शुभ मुहूर्त*

रविवार 10 दिसंबर 2023 को यदि त्रयोदशी तिथि की बात करें तो इस दिन प्रात 7:13 से त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होगी ।यदि नक्षत्र की बात करें तो इस दिन 11 घड़ी 58 पल अर्थात प्रातः 11:46 बजे तक स्वाति नामक नक्षत्र है यदि करण की बात करें तो इस दिन शून्य घड़ी 35 पल अर्थात प्रातः 7:13 तक तैतिल नामक करण है।

सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन रविप्रदोष व्रत पूजा के मुहूर्त की बात करें तो इस दिन सायं 5:30 बजे से रात्रि 8:14 बजे तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।

 

*रवि प्रदोष व्रत कथा*

एक ग्राम में अति दीन ब्राह्मण निवास करता था। उसकी साध्वी स्त्री प्रदोष व्रत किया करती थी। उसे एक ही पुत्ररत्न था। एक

समय की बात है, वह पुत्र गंगा स्नान करने के लिए गया। दुर्भाग्यवश मार्ग में चोरों ने उसे घेर लिया और वे कहने लगे कि हम तुम्हें मारेंगे नहीं, तुम अपने पिता के गुप्त धन के बारे में

हमें बतला दो।बालक दीनभाव से कहने लगा कि बंधुओं!

हम अत्यंत दुःखी दीन हैं। हमारे पास धन

कहाँ है?

तब चोरों ने कहा कि तेरे इस पोटली में क्या

बंधा है?

बालक ने नि:संकोच कहा कि मेरी माँ ने मेरे

लिए रोटियां दी हैं।

यह सुनकर चोरों ने अपने साथियों से कहा

कि साथियों! यह बहुत ही दीन-दुःखी मनुष्य

है अतः हम किसी और को लूटेंगे। इतना

कहकर चोरों ने उस बालक को जाने दिया।

बालक वहाँ से चलते हुए एक नगर में पहुंच

नगर के पास एक बरगद का पेड़ था। वह

बालक उसी बरगद के वृक्ष की छाया में सो

गया। उसी समय उस नगर के सिपाही चोरों

को खोजते हुए उस बरगद के वृक्ष के पासपहुंचे और बालक को चोर समझकर बंदी

बना राजा के पास ले गए। राजा ने उसे

कारावास में बंद करने का आदेश दिया।

ब्राह्मणी का लड़का जब घर नहीं लौटा, तब

उसे अपने पुत्र की बड़ी चिंता हुई। अगले

दिन प्रदोष व्रत था। ब्राह्मणी ने प्रदोष व्रत

किया और भगवान शंकर से मन-ही-मन

अपने पुत्र की कुशलता की प्रार्थना करने

लगी।

भगवान शंकर ने उस ब्राह्मणी की प्रार्थना

स्वीकार कर ली। उसी रात भगवान शंकर ने

उस राजा को स्वप्न में आदेश दिया कि वह

बालक चोर नहीं है, उसे प्रातः काल छोड़ दें

अन्यथा तुम्हारा सारा राज्य- वैभव नष्ट हो

जाएगा।प्रातःकाल राजा ने शिवजी की आज्ञनुसार

उस बालक को कारावास से मुक्त कर दिया

गया। बालक ने अपनी सारी कहानी राजा को

सुनाई।

सारा वृत्तंत सुनकर राजा ने अपने सिपाहियों

को उस बालक के घर भिजा और उसके

माता-पिता को राजदरबार में बुलाया। उसके

माता-पिता बहुत ही भयभीत थे। राजा ने उन्हें

भयभीत देखकर कहा कि आप भयभीत न

हो। आपका बालक निेदष है। राजा ने

ब्राह्मण को 5 गांव दान में दिए जिससे कि वे

सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सकें।

इस तरह ब्राह्मण आनन्द से रहने लगा। शि

जी की दया से उसकी दरिद्रता दूर हो गई।

अतः जो भी मनुष्य रवि प्रदोष व्रत को करता है

वह सुखपूर्वक और निरोगी होकर अपना पूर्ण जीवन व्यतीत करता है।

तो बोलिए भगवान भोलेनाथ की जै।

*लेखक आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।*

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