उत्तराखंड
* अत्यधिक मानसिक और शारीरिक स्ट्रेस से गुजरने वाले न्यायधीशों ने भी अपनाया योग*
नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में अत्यधिक स्ट्रेस से गुजरने वाले न्यायाधीशों ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर योग किया। मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश समेत हाइकोर्ट स्टाफ ने योग के कई आसन किये। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायाधीशों को भी अनिवार्य रूप से प्रतिदिन योग करना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर दुनियाभर में योग दिवस धूमधाम से मनाया गया। इसी क्रम में अत्यधिक मानसिक और शारीरिक स्ट्रेस से गुजरने वाले न्यायधीशों ने भी मुख्य न्यायाधीश भवन के सभागार में योग किया। प्रातः आठ बजे शुरू हुए इस आयोजन में न्यायाधीश व उनके परिवार शामिल हुए। बी.डी.पाण्डे के आयुष विभाग से प्रशिक्षक शेखर भट्ट और ऋतु जोशी ने न्यायधीशों को योग कराया। उन्होंने भुजंग आसन, शवासन, कपाल भाती, अनुलोम विलोम, प्राणायाम, शांति पाठ, भ्रामरी प्रयानाम कराए।
ट्रेनर ने सभी को अति सुरक्षात्मक तरीके से आसन कराए। इस मौके पर न्यायमूर्ति मंनोज तिवारी, न्यायमूर्ति शरद शर्मा, न्यायमूर्ति आलोक कुमार, न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल, न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित, न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा, रजिस्ट्रार जर्नल अनुज कुमार संघल, महाधिवक्ता एस.एन.बाबुलकर, बार एसोसिएशन अध्यक्ष प्रभाकर जोशी आदि योग शिविर में शामिल हुए।
मुख्य न्यायाधीश विपिन संघी ने कहा कि हमारा शरीर एक वाहन की तरह है और हमारी सजगता या सचेता उसमें बैठे सवार की तरह है। इन सब चीजों को ठीक रखने के लिए योग करना पड़ेगा। मुख्य न्यायाधीश ने न्यायधीशों के स्ट्रेस भरे जीवन को देखते हुए कहा कि उन्हें योग करके अपने मन को शान्ति और शरीर को फिट करना चाहिए।