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नैनीताल

अपहरण सहित अन्य मामले में आरोपित पुलिसकर्मियों को अदालत ने किया दोषमुक्त*

*अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नैनीताल द्वारा अपहरण सहित अन्य धाराओं के मामले में आरोपित पुलिसकर्मियों को किया दोषमुक्त*

*12 साल तक चला पुलिसकर्मियों पर मामला जिनमें से एक पुलिसकर्मी कॉन्स्टेबल देवीदत्त पांडे इस दौरान सेवानिवृत्त भी हो चुका है*

नैनीताल।अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नैनीताल ज्योत्सना की अदालत में वर्ष 2010 में घटित बेतालघाट की घटना के संबंध में दो पुलिसकर्मियों जिनमें तत्कालीन एसओजी अल्मोड़ा के कांस्टेबल देवीदत्त पांडे तथा कॉन्स्टेबल संदीप सिंह को धारा 342,352,448, 365,34 आईपीसी में दोषमुक्त किया गया है

वादी किरण फर्त्याल द्वारा न्यायालय में यह कहकर वाद दायर किया था दिनांक 22/12/2010 को समय लगभग दिन के 1:00 बजे उनके निवास स्थान कालाखेत थाना बेतालघाट जिला नैनीताल में 4-5 लोग हथियारों से लैस होकर अल्टो कार से आए तथा उसे तथा उसके पति को बलपूर्वक जबरदस्ती गाड़ी में बैठा कर अल्मोड़ा ले गए जब मौके पर गांव वाले इकट्ठा हुए और उनका विरोध किया गया तो इन हथियारबंद लोगों ने खुद को एसओजी का होना बताया तथा गोली चलाने की धमकी दी जिसके बाद अभियुक्त गण वादी किरण फर्त्याल तथा उसके पति विजय फर्त्याल को अल्मोड़ा थाना उठा ले गए जहां दोनों को रात भर थाने में बंद रखा गया तथा सुबह वादी को छोड़कर उसके पति विजय फर्त्याल को झूठे चरस के मामले में फसा कर जेल भेज दिया गया जिसके बाद मामला वर्ष 2011 में न्यायालय में चला वादी पक्ष की ओर से 8 गवाह पेश किए गए।

जबकि अभियुक्तगणों की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता पंकज कुलौरा द्वारा न्यायालय में यह तर्क रखा गया की वादी द्वारा अपने पति को चरस के मामले से बचाने के लिए अभियुक्तगणों को झूठा फंसाया है क्योंकि वादी के पति विजय फर्त्याल को उसी दिन तथा उसी समय अल्मोड़ा पुलिस द्वारा 1 किलो 585 ग्राम अवैध चरस के साथ पकड़ा गया था जिसके बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश अल्मोड़ा द्वारा अवैध चरस के मामले में उसे 10 साल का कारावास तथा ₹100000 का जुर्माना हुआ है उस मामले में दोनों पुलिसकर्मी पुलिस टीम के सहयोगी थे जिस कारण उन पर कोई अपराध नहीं बनता है और उन्हें झूठा फंसाया है न्यायालय द्वारा पुलिसकर्मियों के पक्ष में दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर तथा वादी के अपने मामले को साबित न किए जाने के कारण दोनों पुलिसकर्मियों को दोषमुक्त कर दिया गया। बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता पंकज कुलौरा के साथ अधिवक्ता रितेश सागर व सुधीर सिंह रहे। अधिवक्तागण ने इसे न्याय की जीत बताया।

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