नैनीताल
सरकारी अधिवक्ता की पैरवी कब करेगी सरकार ? मानदेय में बढ़ोत्तरी की मांग तेज, मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है ।
नैनीताल। उत्तराखण्ड के जिला शासकीय अधिवक्ताओं, अपर जिला शासकीय अधिवक्ताओं एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ताओं के कार्य दिवस, रिटेनरशिप, अपील रिवीजन, कार्यालय व्यय एवं जिला शासकीय अधिवक्ताओं के कार्यालयों में कार्यरत आशुलिपिक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के मानदेय में बढ़ोत्तरी की मांग तेज हो गई है। उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है ।
कहा है कि जिला शासकीय अधिवक्तागण, अपर जिला शासकीय अधिवक्तागण एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्तागण राज्य की ओर से जिले के न्यायालयों में मेहनत, लगन एवं ईमानदारी से पैरवी करते चले आ रहे है। वर्तमान में कार्यों की अधिकता एवं जटिलता भी दिनों दिन बढ़ती जा रही है। पिछले पांच साल से सरकारी अधिवक्ताओं के मानदेय में बढ़ोतरी नहीं की गई है। साफ मानना है कि वह सरकार के हर मुकदमे की पैरवी कर रहे, उनकी पैरवी करने वाला कोई नहीं है ।
न्यायालयों के खुलने वाले कार्य दिवसों प्रत्येक माह में मात्र 20 से 21 दिन ही होते है। उन्हें प्रति कार्य दिवस के हिसाब से ही मानदेय मिलता है, जो कि काफी कम है।
दैनिक कार्य दिवस मानदेय रिटेनरशिप तथा अपील, रिवीजन की फीस समस्त विभागों में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को मिलने पाने क मासिक वेतन से भी कम है, जबकि विधि परामर्शी निर्देशिका में शासकीय अधिवक्ताओं को टीए/ डीए का भुगतान प्रथम श्रेणी के अधिकारी के समान दिये जाने का प्रावधान किया गया है जबकि य उच्च न्यायालय में नियुक्त शासकीय अधिवक्तागणों का मानदेय उनसे काफी अधिक है। उच्च न्यायालय के बीफ होल्डरों का ही प्रतिदिन का मानदेय 3000 नियत है। इसलिए शासकीय अधिवक्ताओं को मिलने वाले मानदेय, रिटेनरशिप को बढ़ाये जाने पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाना आवश्यक है। वर्तमान में 1600, 1500 एवं 1400 रूपया प्रति दिवस से बढ़ाकर क्रमशः 3000, 2800 एवं 2500 रूपया प्रति दिवस एवं रिटेनरशिप 10000 , 8000 एवं 2000 को बढ़ाकर 20,000 किया जाए।
शासकीय अधिवक्तागणों को वर्ष मे कम से कम 15-20 दिन का पारिश्रमिक एवं 10000 किया जाना आवश्यक है।पूर्व में मिलने वाले मानदये में मात्र 100 रुपये की बढ़ोत्तरी की गयी थी. जो कि काफी कम है। न्यायालयों में अभियोजन की ओर से पैरवी करने के लिए आवश्यक है कि वर्तमान में प्रचलित कानूनी विधियों से दिन प्रतिदिन प्रतिपादित विधिक सिद्धान्तों के लिए शासकीय अधिवक्ताओं को कार्यालय व्यय 1200 से बढ़ाकर 10,000, प्रतिमाह एवं वाद, अपील, मैमो, प्रार्थना पत्र पुनरीक्षित प्रार्थना पत्र रिव्यू हेतु 1400 रुपये एवं लिखित विवरण / पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र मात्र 500 है, जिसको बढाकर 3,000 एवं 1,000 किया जाना आवश्यक है। जिला शासकीय अधि के कार्यालयों में आशुलिपिक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से कुछ को कार्यालयों में कार्य करते हुए लगभग 15 वर्ष से अधिक पूर्ण हो चुके हैं, लेकिन आशुलिपिक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का मानदेय मात्र 10,000 एवं 5,000 है जो कि काफी कम है, जिसको बढाकर क्रमश 30,000 व एवं 15,000 किया जाना आवश्यक है। शासकीय अधिवक्तागणों को मिलने वाले अन्य मद लेखन सामग्री एवं छपाई, कार्यालय व्यय, कार्यालय फर्नीचर एवं उपकरण कम्प्यूटर हार्ड वेयर एवं सॉफ्टवेयर के मदों की धनराशि में भी बढ़ोत्तरी किया जाना जरूरी है।