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नैनीताल

नैनीताल के अधिवक्ता नितिन कार्की ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन देकर हाईकोर्ट स्थानांतरित ना करने की मांग करी

नैनीताल अधिवक्ता नितिन कार्की ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय को अन्यत्र ना करने को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के अनुसार नितिन कार्की का कहना है की उत्तराखंड हिमालय पर्वत क्षेत्र के एक बड़े भाग में स्थित है उत्तराखंड क्षेत्र में छोटी-छोटी पहाड़ियों से लेकर ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं विद्यमान है उत्तराखंड राज्य गठन से पूर्व ही इस हिमालय पर्वत क्षेत्र की मांग केवल इसलिए हुवि ताकि जटिल व विभिन्न परिस्थितियों से भरी इस पर्वतीय क्षेत्र के दूरस्थ ग्रामीण व अन्य क्षेत्रों का विकास किया जा सके। 2 मई 2001 को केंद्र सरकार द्वारा उत्तराखंड को 1 अप्रैल, 2001 से विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने का एक कारण उत्तराखंड का पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र होना है। उत्तराखंड राज्य निर्माण के साथ ही उत्तराखंड के माननीय उच्च न्यायालय को नैनीताल स्थापित किया गया पर्वतीय राज्य होने के कारण भौगोलिक विशेषताएं इस राज्य की खासियत रही है वह क्षेत्र में जनसंख्या भी अन्य राज्यों की अपेक्षा भिन्न है।
उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश भौगोलिक परिस्थितियों में एकरूपता है और जिस प्रकार उत्तराखंड का उच्च न्यायालय नैनीताल जैसे पर्यटक स्थल पर है उसी प्रकार | हिमाचल प्रदेश का उच्च न्यायालय शिमला जैसे पर्यटक स्थल पर है जो कई दशको से सुचारू रूप से कार्य कर रहा है।
उत्तराखंड के माननीय उच्च न्यायालय पर आज तक सरकार द्वारा 872 करोड़ रुपया खर्च किया जा चुका है साथ ही साथ उत्तराखंड उच्च न्यायालय की स्थापना हेतु नैनीताल स्थित सभी सरकारी विभागों को अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया जिससे कि नैनीताल के व्यापार में कमी आई क्योंकि पर्यटन केवल दो तीन माह के लिए हो होता है, आज नैनीताल का लगभग हर परिवार रोजगार हेतु प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से माननीय उच्च न्यायालय से जुड़ा हुवा है। वह इस कदम से केवल पलायन को बढ़ावा मिलेगा वह उत्तराखंड राज्य जिसकी परिकल्पना पर्वतीय क्षेत्रों के विकास हेतु हुवी उसको कमजोर करके केवल मूलभूत आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कुछ लोगों की सुविधाओं हेतु ऐसा करना उचित प्रतीत नहीं होता।

महोदय उत्तराखंड निर्माण के 20 वर्ष बीत जाने के उपरांत भी आज तक नैनीताल में एक स्वस्थ वह स्थाई ट्रफिक प्लान असल में नहीं लाया जा सका है जिससे कि ग्रीष्म काल में पर्यटकों के आने पर अव्यवस्थाएं हो जाती है।उत्तराखंड हाई कोर्ट को अन्यत्र स्थानांतरित करके इस पर्वतीय राज्य की औगोलिक परिस्थितियों वह इन पहाड़ो हेतु किए गए हमारे पूर्वजों के त्याग, बलिदान व स्वपन को खड़ित ना करते हुए
वर्तमान स्थिति में ही रहने दिया जाए

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