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उत्तराखंड

ललित मोहन रयाल व नवनीत पांडे के जरिये पहाड़ विकास के साथ साफ सुथरी सरकार का संदेश

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रितेश सागर:

नैनीताल। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार चलाने व सरकार के साथ ही अपनी छवि को साफ सुथरी बनाने, जनता में स्वच्छ सरकार व प्रशासन का संदेश देने को सख्त कदम उठा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने अपने कार्यालय में वरिष्ठ पीसीएस व हाल ही आइएएस के लिए पदोन्नत अफसर राज्य के पहले पीसीएस टॉपर ललित मोहन रयाल व अल्मोड़ा के सीडीओ रहे नवनीत पांडे को अपर सचिव मुख्यमंत्री नियुक्त किया है।

मूल रूप से चंपावत व नैनीताल सीमा से सटे ओखलकांडा ब्लॉक के ढोलीगांव निवासी नवनीत पांडे व टिहरी गढ़वाल के खड़कमाफी व हाल ऋषिकेश निवासी ललित मोहन रयाल की छवि साफ सुथरी व आम आदमी से कनेक्ट वाली रही है। नवनीत के पिता सुधीर पांडेय वन विभाग के डायरेक्टर जनरल भारत सरकार जबकि मां ग्रहणी हैं। नवनीत के भाई मनीष कनाडा में सेवारत हैं। उत्तराखंड में पीसीएस अफसरों की वरिष्ठता विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, इस केस में दोनों अफसरों ने अहम भूमिका निभाई और आइएएस में पदोन्नत हुए। नवनीत शहरी विकास निदेशक व अपर सचिव भी हैं जबकि रयाल अपर सचिव सतर्कता व कार्मिक हैं। सीएम धामी इससे पहले साफ सुथरी छवि के आएएसएस शैलेश बगौली को अपना सचिव बनाकर नौकरशाही को सही काम करने का संदेश दिया था। अब रयाल व पांडे की नियुक्ति ने साफ जाहिर हो गया कि सीएम अपने कार्यालय में कामकाज को साफ सुथरा रखना चाहते हैं।
राज्य में हर सरकार में अफसरशाही का व्यवहार व कामकाज का तरीका हमेशा से ही जनप्रतिनिधियों व समाजसेवी संगठनों के लिए सहज नहीं रहा। अफसरशाही में जरूरत से ज्यादा भरोसा कर पब्लिक में अलोकप्रिय होने पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम पद से विदाई लेनी पड़ी। दिग्गज नेता एनडी तिवारी पर भी कार्यकाल के दौरान चंद अफसरों से घिरे होने के आरोप लगे थे लेकिन एनडी ने अफसरों को विकास का एजेंडा तेज करने को मजबूर किया। पूर्व सीएम भुवन खंडूरी के कार्यकाल में भी अफसरों के कामकाज ने सरकार की खूब किरकिरी कराई। नैनीताल के वरिष्ठ पत्रकार किशोर जोशी का कहना है राज्य में अफसरशाही के सरकार में हावी होने की वजह से पहाड़ की विकास योजनाओं में देरी जगजाहिर है। अब सीएम यदि साफ सुथरी छवि के अफसरों को मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनाती मिल रही तो राज्य की मूल अवधारणा के हित में है।

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