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उत्तराखंड

अब जंगलों को आग से बचाने के साथ साथ रोजगार भी पाएं। डीएफओ टीआर बिजुलाल की सराहनीय पहल।

नैनीताल ।जिले में दवाग्नि के कारण फॉरेस्ट, दमकल व स्थानीय लोगों का अब दम फूलने लगा है, अब तक नैनीताल जिले में लगभग 30 आग जंगलों में लग चुकी है जिसके द्वारा लगभग 25 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान हुआ है साथ ही साथ विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओ की  हानि भी सम्भावित हैं ,

जंगल में आग लगने का सबसे बड़ा कारण चीड़ के पत्ते यानी की पिरूल होती है जिसमें की ज्वलनशील तेल लगा होता है जिससे उसमें जलने की क्षमता और पत्तों से अधिक होती है, उत्तराखंड में अधिकांश जंगलों में आग पिरुल के द्वारा ही लगती है ।वन विभाग नैनीताल ने अब इसका समाधान ढूंढ निकाला है जिसके चलते डीएफओ टीआर बिजुलाल ने बताया कि उनका वर्तमान में तीन फर्मों के साथ 5 साल का करारा हुआ हैं जो की -ईस्टर एंटरप्राइज सलियाधार अल्मोड़ा
,सेंचुरी पल्प एंड पेपर लालकुआ नैनीताल ,ऑलस्टार इंफ्रापार्क इंडियल लिमिटेड कोटाबाग नैनीताल है
उक्त कम्पनियों को विभिन्न प्रजोजन हेतु पिरुल की आवश्यकता है, इसलिए ग्रामीण महिला समूह के द्वारा पिरुल एकत्रित करके इन कंपनियों को दिया जाएगा ,जिससे पिरूल एकत्रित करने वाली महिलाओं को 4 रु प्रति किलोग्राम पिरुल का पैसा भी मिलेगा ,

जिसके साथ साथ जंगल की आग पर तो रोक लगेगी ही साथ साथ महिला सशक्तिकरण के चलते महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर भी मिलेंगे । डीएफओ टीआर बिजुलाल ने बताया कि अब तक सैकड़ों कुंटल पीरुल एकत्रित करके इन कंपनियों को भेजा जा चुका है जिसके चलते ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक लाभ प्राप्त होने के साथ-साथ जंगल की आग पर भी बहुत हद तक रोक लगेगी ।

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