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नैनीताल

नैनीताल में हनुमान जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया, जानें क्या अंतर है जयंती व जन्मोत्सव में।

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नैनीताल।सरोवर नगरी में हनुमान जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर आज बंगाली कॉलोनी सूखाताल स्थित श्री हनुमान मंदिर में सुबह पूजा पाठ , हवन , आरती कर श्री हनुमान जनमोत्स्व दौरान धार्मिक अनुष्ठानों के साथ भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ों सर्द्धालुओ ने प्रसाद ग्रहण किया। पूजा अर्चना पंडित श्री प्रकाश चंद जोशी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में नैनीताल विधायक सरिता आर्य ने आरती कर बजरंग बली का आशीर्वाद प्राप्त किया। पूजा में जजमान माणिक सरकार उनकी पत्नी शमा सरकार, व विश्वकेतु वैद्य रहे। श्री हनुमान जन्मोत्सव में पूजा व भंडारे को सफल बनाने में बंगाली कॉलोनी के सभी परिवारजन के साथ भोजन व्यवस्था के लिए, विजय सिंह, अजय कुमार , अजित , विनोद कुमार वैद्य, हिमांशु, अजय उपाध्याय, विवेक का व भंडारे व्यवस्था के लिए समीर , विभोर भट्ट, आकाश, लकी, संजीव ,नितिन, व भजन कीर्तन महिलाओं द्वारा किया गया जिसमें आशा , विजय लक्ष्मी ठप, गीता आर्य, बीना ,मूनी आशा ,किरण, दिव्या, मोनिका, नीलम, मंजू आदि भक्तों द्वारा कार्यक्रम को सफल बनाया गया। हनुमान जन्मोत्सव में नैनीताल विधायक सरिता आर्य,मंडल अध्यक्ष आनदं बिष्ट, संजू संजय कुमार, शुभम मल्होत्रा, विवेक वर्मा, शिव सेना जिलाध्यक्ष हेमन्त वेदी, गोपाल गोस्वामी, अज्जू कुमार आदि लोगो की उपस्थिति रही। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विश्वकेतु वैद्य ने सभी का तहे दिल से आभार व धन्यवाद किया।

नैनीताल में हनुमान जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया, जानें क्या अंतर है जयंती व जन्मोत्सव में।

नैनीताल। जन्मोत्सव कहा जाए या फिर जयंती, इस पर चर्चा हो रही है। जानकारों का कहना है कि इस दिन को जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव कहना उचित है। ज्योतिषाचार्यों का मत है कि जयंती और जन्मोत्सव में अंतर होता है। जयंती का शब्द का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए किया जाता है, जो संसार में नहीं है। लेकिन ये बात पवनपुत्र हनुमान जी पर लागू नहीं होती है। हनुमान जी को कलियुग के जीवित व जागृत देवता माने गए हैं। तुलसीदास जी ने भी कलियुग में हनुमान जी की मौजूदगी का उल्लेख किया है। मान्यता है कि भगवान राम से अमरता का वरदान पाने के बाद हनुमान जी ने गंधमादन पर्वत पर निवास बनाया है। कहा जाता है कि इसी स्थान से कलियुग में धर्म के रक्षक बजरंगबली जी निवास करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन जो जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव कहना उचित होगा

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