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उत्तराखंड

विलक्षण प्रतिभा के “सखा” नही रहे, शुक्रवार सुबह 10 बजे कैलाखान निवास से निकलेगी अंतिम यात्रा पाइंस घाट को।

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रितेश सागर:

नैनीताल।नगर के जाने-माने रंगकर्मी, शास्त्रीय संगीतज्ञ ,पेंटर ,लेखक, बॉक्सर, शिक्षक ,नेता ,शिकारी आदि विभिन्न प्रतिभाओं के धनी विशंभर नाथ साह सखा का आज दिनांक 7 अप्रैल 2022 को 89 वर्ष की आयु में हल्द्वानी के निजी अस्पताल में निधन हो गया। निधन की खबर सुनते ही नगर वासियों व कला जगत से जुड़े लोगों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। विधायक सरिता आर्या ने उनके घर जाकर परिजनों को सांत्वना दी। 8 अप्रैल शुक्रवार को प्रातः 10 बजे उनके निवास स्थान कैलाखान से उनकी अंतिम यात्रा पॉइंस श्मशान घाट को निकलेगी।

नैनीताल में” सखा “नाम से प्रख्यात विशंभर नाथ साह का जन्म 13 जुलाई 1933 को अल्मोड़ा खजांची मोहल्ला निवासी भवानी दास साह के घर हुआ था। चूंकि माताजी का स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण उनका लालन-पालन नैनीताल में उनके नाना नानी के घर में ही हुआ था जो कि अब उनका वर्तमान निवास भी है ।बता दें कि उनके नाना नानी के कोई पुत्र ना होने के कारण उनके वारिस विशंभर नाथ साह बने ,जोकि अंतिम समय तक उसी निवास स्थान कैला खान में ही बने रहे। विशंभर नाथ साह बाल्यकाल से ही रामलीला आदि में प्रतिभाग करने लगे थे, कला के प्रति उनकी रुचि बढ़ने लगी साथ ही नैनीताल से ही गवर्मेंट स्कूल से इंटर व वर्तमान के डीएसबी कॉलेज(वर्तमान नाम) से स्नातक की डिग्री प्राप्त की ।कला के प्रति अपार प्रेम होने के कारण उन्होंने कलकत्ता शांतिनिकेतन में दाखिला भी लिया व ढाई वर्ष वहां रहने के बाद स्वास्थ्य की असहजता के कारण उन्हें पुनः नैनीताल आना पड़ा ।

नैनीताल में कला के प्रति उंनके हृदय में अनेकों भाव उत्पन्न होने लगे, तभी 1951/ 52 के तहत नैनीताल में भव्य शरदोत्सव का आयोजन किया जाने लगा ।उस दौरान रामपुर घराने के शास्त्रीय संगीतज्ञ जिन्हें नवरत्न उपाधि मिली थी उन्हें शरदोत्सव में आमंत्रित किया गया ,सखा जी की कला प्रति छटपटाहट उन्हें शरदोत्सव के मंच तक खींच लायी व शास्त्रीय संगीत के महाकुंभ में स्टेज संभालने का अवसर मिला गया और रामपुर घराने के नवरत्नों के संपर्क में आ गए वहीं से संगीत के गुर व शास्त्रीय संगीत गायन /वादन इत्यादि की शुरुआत हुई ,साथ-साथ सखा जी का रंगमंच में दखल बढ़ता गया , शांतिनिकेतन से चित्रकला ,मूर्ति निर्माण में ज्ञान प्राप्त कर चुके सखा जी इस कला में भी अहम भूमिका निभाने लगे ।साख जी एक जानेमन कम्युनिस्ट रहें, खेलों के प्रति रुचि उन्हें बॉक्सिंग की तरफ भी ले गई और वह एक कुशल बॉक्सर बनकर उभरे ।एक मूर्तिकार, चित्रकला में पारंगत शास्त्रीय संगीत के प्रतिभावान गायक, सितार वादक के रूप में अपने हुनर को सरोवर नगरी में स्थापित करते चले गये। विशम्बर नाथ साह एक कुशल शिकारी के साथ सीआरटी इंटर कॉलेज व सेंट जोसेफ कॉलेज में इंग्लिश के शिक्षक रहते हुए भी अपनी सेवाएं दे चुके है । एक कम्युनिस्ट विचारधारा के होने के साथ-साथ विशंभर नाथ सखा नयना देवी मंदिर के ट्रस्टी भी थे। वर्तमान समय तक नयना देवी शिल्प कार्य मे अपना महत्वपूर्ण योगदान देते रहे, छावनी परिषद नैनीताल के तीन बार के सभासद विशंभर नाथ “सखा ” अपने तीन भाइयों में सबसे बड़े थे जिनमें से दो भाइयों का निधन विगत वर्षों में हो गया था, विशंभर नाथ सखा अपने पीछे अपनी धर्मपत्नी सोना साह, अपनी पुत्री दीपाली साह ,जवाई अनुज साह , नातिन भानवी आदि छोड़ गए हैं।

प्रख्यात रंगकर्मी जहूर आलम बताते हैं कि किसी व्यक्ति में इतने सारे गुणों का होना किसी वरदान से कम नहीं है और वह भी हर विधा में पारंगत रंगमंच में उनके आने से पूर्व पारंपरिक धार्मिक नाटको की ही प्रस्तुति होती थी, साख जी ने नए प्रयोगवादी नाटकों की शुरुआत कर रंगमंच के क्षेत्र में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया इसमें “पागल की डायरी “नाटक नैनीताल रंगमंच के इतिहास में बहुत अहम साबित हुआ ,जहूर आलम ने कहा कि सखा जी के जाने से कला जगत को भारी नुकसान हुआ है जिसकी पूर्ति होना संभव नहीं है।

नैनीताल समाचार के संपादक जाने-माने पत्रकार राजीव लोचन साह ने कहा अपने जमाने में सखा जी के बराबर शास्त्रीय संगीत में कोई गायक नहीं था, साथ ही पेंटिंग व मूर्ति निर्माण में उनका कोई सानी नहीं था, उन्होंने बताया कि 1962 में भारत-चीन युद्ध पर “तवांग से वापसी “फिल्म बनाकर उन्होंने उस समय कि अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया था।


विधायक सरिता आर्या ने सखा जी के निवास स्थान पर जाकर उनके परिजनों को सांत्वना दी और कहा सखा जी के जैसा कुशल नेता समाजसेवी ,रंगकर्मी, शायद ही कोई और हो उनके जाने से नैनीताल नगर में कला और संस्कृति की बहुत बड़ी हानि हुई है जिसकी भरपाई करना मुश्किल है ।

उनके निवास स्थान पर परिजनों को सांत्वना देने में विधायक सरिता आर्या, राजीव लोचन ,शांति मेहरा ,आनंद सिंह बिष्ट ,मोहित शाह ,हरीश राणा, हेमन्त बिष्ट,जितेंद्र सिंह बिष्ट ,बहादुर सिंह रौतेला, विनीता यशस्वी ,मनीष कुमार ,उपेंद्र सिंह ,शीतल तिवारी आदि लोग शामिल थे । साथ दुःख प्रकट करने वालों में जहूर आलम, हरीश राणा, मिथिलेश पांडे ,अनिल घिल्डियाल,डीके शर्मा ,राजेश आर्य, मंजूर हुसैन, रितेश सागर ,इदरीस मलिक ,दीपक सहदेव ,अदिति खुराना , एम दिलावर, भास्कर बिष्ट, मदन मेहरा ,जितेंद्र बिष्ट आदि नगर के रंगकर्मी व संस्कृति कर्मी शामिल थे।

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