उत्तराखंड
*नैनीताल में 1 नवंबर को मनेगा दीपावली पर्व* *आचार्य पं. कैलाश चन्द्र सुयाल ने बताया श्री महालक्ष्मी पूजन तिथि का महत्व और अधिकारिकता*
इस वर्ष (संवत २०८१) में दीपावली अंतर्गत श्री महालक्ष्मी पूजन की तिथि (३१ अक्टूबर अथवा १ नवंबर) को लेकर किंचित विवाद की स्थिति बनी हुई है। हालांकि, कांची पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी विजयेन्द्र सरस्वती जी महाराज द्वारा गत वर्ष ही इस वर्ष के महालक्ष्मी पूजन के लिए १ नवंबर की तिथि विभिन्न विद्वानों से विचार-विमर्श के बाद सुनिश्चित की गई थी। इस प्रकार इसे विवादित करना समीचीन नहीं है।
कुमाऊनी क्षेत्र में प्रचलित तीनों प्रमुख पंचांगों (श्री गणेश मार्तण्ड, श्री तारा प्रसाद व नक्षत्र लोक) में १ नवंबर को महालक्ष्मी पूजन प्रदर्शित किया गया है। ३१ अक्टूबर को दीपावली मनाने का आह्वान करने वाले लोगों तक यह संदेश देना आवश्यक है कि सर्वमान्य ज्योतिष ग्रंथ “तिथि तत्व” में “दण्डैकरजनी योगे दर्श: स्यात्तु परेsहनि तथा विहार पूर्वेद्यु:” कहकर १ नवंबर को ही श्री महालक्ष्मी पूजन का निर्देश दिया गया है।
श्री नयना देवी मंदिर के सूचना पटल पर भी १ नवंबर को ही श्री महालक्ष्मी पूजन प्रदर्शित किया गया है। प्रांतीय व्यापार मंडल, हल्द्वानी द्वारा आयोजित निर्णय सभा में भी १ नवंबर को श्री महालक्ष्मी पूजन का समर्थन किया गया है। प्रादेशिक राजधानी देहरादून में नगर के मान्य विद्वानों की श्री कालिका मंदिर में आयोजित सभा में भी दिनांक १ नवंबर को ही श्री महालक्ष्मी पूजन को मान्यता दी गई है।
मुख्य बात यह है कि दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी अमावास्या होने पर द्वितीय दिवस महालक्ष्मी पूजन का मार्ग प्रशस्त हो गया है। साथ ही, चूंकि प्रथम दिवस अमावास्या चतुर्दशी विद्धा है, इसलिए इस दिन श्री महालक्ष्मी पूजन उचित नहीं है।
हालांकि, इस विषय में मतभेद होने का यह अर्थ नहीं है कि विद्वानों की कोई त्रुटि है। दरअसल, ज्योतिष के मुहूर्त आदि ग्रहों, नक्षत्रों और तारों की गणना से संबंधित होते हैं, इसलिए यह एक जटिल विषय है और इसमें मत विभाजन अवश्यंभावी है। यह भारतीय ज्योतिष की महत्ता को भी दर्शाता है।
संक्षेप में, यह कहा जा सकता है कि विभिन्न मतों के अनुसार दोनों ही दिन श्री महालक्ष्मी पूजन किया जा सकता है, परंतु द्वितीय दिवस इसे मनाना अधिक तर्कपूर्ण है। इसलिए इस वर्ष सभी आग्रहों को त्यागकर श्री महालक्ष्मी पूजन दिनांक १ नवंबर को किया जाएगा।