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*ड्रग रेजिस्टेंस को एक वैश्विक समस्या, शोध के माध्यम से हो सकते हैं बेहतर एंटीबायोटिक्सः डॉ बेक्टहोल्ड*

 कुमाऊं विश्वविद्यालय में डॉक्टर एंड्रियास बेक्टहोल्ड का व्याख्यान

नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय द्वारा जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रीबर्ग के डॉक्टर एंड्रियास बेक्टहोल्ड का व्याख्यान ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया गया।

डॉक्टर एंड्रियास ने “इंट्रोडक्शन इंटू थे रिसर्च ऑफ़ एंड्रियास बेक्टहोल्ड इन फ्रीबर्ग” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने ड्रग रेजिस्टेंस को एक वैश्विक समस्या बताते हुए कहा कि शोध के माध्यम से बेहतर एंटीबायोटिक्स बनाए जा सकते हैं।

डॉक्टर एंड्रियास ने बताया कि हिमालय की जैव विविधता में एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल, और एंटीवायरल गुण मौजूद हैं, जिन्हें जेनेटिक इंजीनियरिंग से विकसित किया जा सकता है। यह पोटेंट ड्रग मॉलिक्यूल बनाने में सहायक होगा।

उन्होंने क्लोनिंग और क्लस्टरिंग के माध्यम से लैंडोम्यूसिन और वर्डिमिसिन पर भी प्रकाश डाला। डॉक्टर एंड्रियास ने बताया कि लैब में एक जीनोम बनने में 3 से 4 साल तक का समय लग सकता है।

डॉक्टर एंड्रियास ने एक्ट ईनो माइसेट्स से प्राकृतिक उत्पाद बनाने और बायो सिंथेसिस को इंसेक्ट से बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने ओलिकोमाय सीन और रेगुलेशन ऑफ़ सहित नेचुरल प्रोडक्ट और नॉवेल कंपाउंड बनाने में जीन सीक्वेंसिंग पर चर्चा की।

व्याख्यान के दौरान विद्यार्थियों ने कई प्रश्न पूछे, जिनका डॉक्टर एंड्रियास ने उत्तर दिया। कार्यक्रम का संचालन निदेशक प्रो ललित तिवारी ने किया, जिन्होंने सभी का स्वागत किया और डॉक्टर एंड्रियास का परिचय प्रस्तुत किया।

व्याख्यान के अंत में कुलपति प्रो दीवान एस रावत, डॉक्टर एंड्रियास, हेड जूलॉजी, हेड बायोटेक, पंकज पाठक, दीक्षा बोरा सहित सभी को धन्यवाद किया गया।

इस व्याख्यान में प्रो हरीश बिष्ट, प्रो तपन नैलवाल, प्रो वीना पांडे, प्रो अर्चना साह, प्रो गीता तिवारी, डॉक्टर रिशेंद्र कुमार, डॉक्टर संतोष उपाध्याय, डॉक्टर पैनी जोशी, पूजा गुप्ता, जूनैब सहित 72 बायोटेक और जूलॉजी के विद्यार्थियों ने भाग लिया।

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