उत्तराखंड
*वक्फ बोर्ड को समाप्त करने का अनुरोध: नितिन कार्की ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र*
नैनीताल। मल्लीताल निवासी नितिन कार्की ने वक्फ बोर्ड को तत्काल समाप्त करने का अनुरोध किया है। इसे लेकर उन्होंने जिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से प्रधानमंत्री को पत्र प्रेषित किया है।
उन्होंने कहा है कि वह वक्फ बोर्ड और वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत इसके संचालन के संबंध में अपनी गहरी चिंताओं को व्यक्त करने के लिए यह पत्र लिख रहे हैं। कहा है कि जैसा कि वर्तमान में संरचित वक्फ बोर्डके पास असाधारण शक्तियां हैं, जिससे महत्वपूर्ण विवाद और सामाजिक कलह पैदा हुई है, जैसा कि विभिन्न रिपोर्टों से पता चलता है और सार्वजनिक भावनाएं विभिन्न मंचों पर व्यक्त की गईं। लिहाजा इनके निस्तारण की नितान्त आवश्यकता है।
पत्र में निम्न बिन्दुओं का उल्लेख किया गया है-
चिंताएँ:
भेदभावपूर्ण व्यवहार: वक्फ अधिनियम के तहत, बोर्ड का प्रबंधन मुस्लिम समुदाय द्वारा होता है, जो अन्य धार्मिक समुदायों के खिलाफ भेदभाव करता है। यह हमारे संविधान की धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के विपरीत है।
भूमि अधिग्रहण और प्रबंधन: वक्फ बोर्ड ने कई बार बिना पर्याप्त कानूनी जांच के संपत्तियों पर स्वामित्व का दावा किया है, जिससे भूमि हड़पने के आरोप लगे हैं।
पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव: वक्फ बोर्ड के संचालन में पारदर्शिता की कमी है, जिससे सत्ता के दुरुपयोग और अविश्वास के आरोप लगते हैं।
सामाजिक सद्भाव: इस बोर्ड की व्यवस्था सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देती है और समाज के ताने-बाने को कमजोर करती है।
सिफ़ारिशें:
वक्फ बोर्ड का उन्मूलन: वक्फ बोर्ड के पूर्ण उन्मूलन पर विचार किया जाए, जिससे सभी नागरिकों के लिए समानता सुनिश्चित हो सके।
संपत्ति प्रबंधन में सुधार: यदि उन्मूलन संभव नहीं है, तो एक तटस्थ निकाय की स्थापना की जाए या वक्फ संपत्तियों को एक धर्मनिरपेक्ष ट्रस्ट के तहत एकीकृत किया जाए।
पारदर्शिता: सभी वक्फ संपत्तियों और वित्तीय लेनदेन के नियमित ऑडिट और सार्वजनिक प्रकटीकरण को अनिवार्य किया जाए।
कानूनी सुधार: वक्फ अधिनियम में संशोधन किया जाए ताकि संपत्ति विवादों का निपटारा नियमित न्यायिक प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाए।
सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा: ऐसी नीतियों को प्रोत्साहित किया जाए जो समाज में एकता को बढ़ावा दें।
सनातन बोर्ड की स्थापना: श्री शंकराचार्य के अधीन एक सनातन बोर्ड की स्थापना की जाए।
वक्फ बोर्ड की भूमिका और इसके कारण उत्पन्न समस्याओं को देखते हुए, इस पत्र में व्यक्त की गई चिंताओं को गंभीरता से लिया जाए।