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उत्तराखंड

*कांग्रेस ने वोट बैंक के लिए बसायी अनियोजित बस्तियां, अब दिखाया जा रहा भयः चौहान*

भाजपा ने 2016 के सरकारी अध्यादेश के प्रभावी होने से मलिन बस्तीवासियों को किसी भी कार्यवाही से सुरक्षित होने का भरोसा दिलाया है । उन्होंने अतिक्रमण की कार्यवाही को एनजीटी का आदेश बताते हुए कहा कि विपक्ष निकाय चुनाव की राजनीति के लिए फील्डिंग सजा रहा है और आपदा का डर दिखाकर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति कर रहा है।

बलबीर रोड स्थित पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए  प्रदेश मीडिया प्रभारी श्री मनवीर चौहान ने कहा कि भाजपा सरकार ही लाखों लोगों को उजड़ने से बचाने के लिए 2018 और 2021 में अध्यादेश लेकर आई थी। जो आज भी पूरी तरह प्रभावी है और बस्ती में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को चिंता करने की जरूरत नहीं है। भाजपा सरकार किसी के साथ अन्याय नही होने देगी और यथा समय सभी पहलुओं पर विचार विमर्श कर जनहित में उचित कदम उठाया जाएगा।

जहां तक सवाल है 2016 के बाद नदी किनारे हुए अतिक्रमणों पर कार्यवाही का तो वह सब एनजीटी के निर्देशानुसार हो रही है जो पर्यावरणीय नियमों में अनुपालन हेतु सुप्रीम कोर्ट के निगरानी में काम करने वाली स्वतंत्र एजेंसी है । उनकी कार्यवाही के अंतर्गत आने वाले 524 मकान, आपदा सीजन को देखते हुए खतरे की जद में भी हैं और कभी बाढ़ के चलते बड़ी जनहानि का कारण बन सकते हैं । लिहाजा इस पूरे मुद्दे पर मानवीय दृष्टिकोण से विचार करते हुए सभी लोगों के लिए, नदी किनारे की परिस्थितियों का व्यवहारिक पक्ष भी ध्यान में रखना जरूरी है।

उन्होंने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष इस गंभीर मुद्दे पर सिर्फ और सिर्फ निकाय चुनावों को देखते हुए राजनीति कर रही है । अगर वह थोड़ा भी गंभीर होते तो अपनी सरकारों में रहते वोट बैंक के लालच में अनियोजित तरीके से बस्तियां बसाने का काम नही करते। इनमे निवासरत लाखों लोगों के लिए जरूरी व्यवस्थाओं एवं उनके अस्तित्व को बचाने के लिए कोई न  कोई ठोस कदम उठाते।

बावजूद इसके उन्हें बचाने के लिए भाजपा सरकार ही दो बार 3-3 साल का अध्यादेश लेकर आई है । लेकिन आज कांग्रेस नेताओं को महापौर और पार्षद की सीटों पर निगाह लगी है, वे राजनैतिक स्वार्थ में इतने अंधे हो गए हैं कि उन्हे अतिक्रमण की जद में आए मकानों पर मंडराता बाढ़ का खतरा भी नही नजर नही आ रहा है । कांग्रेस नेता राजनैतिक लाभ के लिए, संवेदनहीनता की सभी हदें पार कर, सैकड़ों परिवारों का जीवन खतरे में डालने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि पूर्व की भाँति इस बार भी दुष्प्रचार का उन्हे कोई राजनैतिक लाभ नही होने वाला है।

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