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उत्तराखंड

*मुसीबतों से लड़कर फिर हासिल किया मुकाम, शीतल ने फतेह की माउन्ट यूटी कांगड़ी की चोटी*

नैनीताल। पैर में फैक्चर होने के बाद भी शीतल का जज्बा कम नहीं हुआ। इसके चलते भले ही वह दो साल तक ट्रेक नहीं कर पाई। जिसके चलते उनकी हिम्मत टूट गयी थी, लेकिन उन्होंने ठीक होने के बाद प्रयास शुरू किया और माउंट यूटी कांगड़ी की यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की है। इसकी ऊंचाई समुद्र तट से 6070 मीटर / 19, 914 फिट है।

इस कामयाबी के बाद शीतल का कहना है कि लिगामेंट ऑपरेशन के बाद ऐसा लगा जैसे सब कुछ खत्म हो गया, लेकिन 12वीं फेल फिल्म देखने के बाद उनमें भी दोबारा काम शुरू करने का जज्बा आ गया और फिर से शुरुआत से शुरू कर दी। इस कामयाबी को उन्होंने सफलता में तब्दील कर दिखाया। इसके लिए उन्होंने हंस फाउंडेशन को धन्यवाद दिया है। साथ ही इस अभियान को सफलबनाने के लिए एथिकल हिमालय एक्सपीडिशन और उनके पर्वतीय विशेषज्ञ मार्गदर्शकों का भी आभार जताया है। शीतल का कहना है कि इस अभियान में उनके परिवार ने हमेशा ही उनका साथ दिया। बता दें कि शीतल ने पूर्व में भी काफी उपलब्धियां हासिल की हैं।

साहसिक खेल का सबसे बड़ा पुरुष्कर तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड से भी उन्हें सम्मानित किया गया है। साथ ही दुनिया की सबसे कम उम्र में सफलता पूर्व माउंट कंचानजोगा, ऐवरेस्ट, अन्नपूर्णा तथा आदि कैलाश रेंग में माउंट चीपीदंग को लीड करने वाली शीतल ने खेलों इंडिया नेशनलचैंपियन शिप में कांस्य पदक जीता तथा स्कीइंगके दौरान उन्हें घुटने में गहरी चोट आई और आप्रेशन करना पड़ा पूरे 2 साल बाद फिर से खड़ी हुई और-35° में सफलता पूर्वक सम्मिट किया। शीतल का सपना 8000 मीटर की दुनिया में 14 पर्वत है। जिसमें भारतीय को 9 पर्वतों में आरोहण कर सकते हैं। क्योंकि बाकी के पर्वत पाकिस्तान में स्थित है। शीतल ने 3 का सफल आरोहण किया है। अब शीतल को 8000 मीटर की 6 पर्वतों पर आरोहण करने का सपना है। इस वर्ष चीन में स्थित माउंट धोलागिरी और माउंट चोयू को पर आरोहण करेंगी। वर्तमान में शीतल उत्तराखंड टूरिज्म डिपार्टमेंट में थलविशेषज्ञ के रूप में कांट्रेक्ट बेस में तैनात हैं।

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