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उत्तराखंड

*मांगों को लेकर आशाओं ने दी हड़ताल की चेतावनी, सफल बनाने में जुटा यूनियन*

हल्द्वानी। उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन संबद्ध ऐक्टू की राज्य कार्यकारिणी की बैठक ऐक्टू कार्यालय हल्द्वानी में हुई। बैठक में 16 फरवरी की आगामी राष्ट्रीय हड़ताल को सफल बनाने, यूनियन की सदस्यता नवीनीकरण, सभी जिलों में सम्मेलन करते हुए राज्य सम्मेलन करने के एजेंडे आदि पर विस्तार से चर्चा की गई।

तय किया गया कि 16 फरवरी की राष्ट्रीय हड़ताल में यूनियन पूरी ताकत से शामिल होकर हड़ताल को पूर्ण सफल बनाएगी। साथ ही विभिन्न जिलों में जिला सम्मेलन करते हुए राज्य सम्मेलन 31 मार्च को करने का फैसला किया गया। आशा राज्य कार्यकारिणी बैठक को संबोधित करते हुए ऐक्टू प्रदेश महामंत्री के के बोरा ने कहा कि, मोदी राज में आशाओं और अन्य महिला स्कीम वर्कर्स को लगातार उपेक्षा का शिकार होना पड़ा है। काम का बोझ बढ़ाना, वेतन के बिना काम कराना और आशाओं के बजट में कटौती करना इस सरकार की पहचान बन गई है। न्यूनतम वेतन जैसी बुनियादी कानूनी व्यवस्था से भी इस सरकार ने आशाओं को वंचित किया हुआ है। उन्होंने कहा कि, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा ने संयुक्त रूप से 16 फरवरी 2024 को केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी विनाशकारी नीतियों के खिलाफ औद्योगिक क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण बंद के साथ-साथ बड़े पैमाने पर देशव्यापी लामबंदी का आह्वान किया है। इसका हम समर्थन करते हैं।

उन्होंने कहा कि, सत्तारूढ़ कॉरपोरेट सांप्रदायिक गठजोड़ के मौजूदा घटनाक्रम बेहद चिंताजनक है, जिसमें बेशर्मी से राष्ट्रीय संपत्ति और वित्त को मुट्ठी भर निजी कॉरपोरेटों को सौंपा जा रहा है और भारतीय लोकतंत्र के सभी संस्थानों को पंगु बना दिया गया है तथा उन पर कब्जा किया जा रहा है। यह सरकार समग्र रूप से मेहनतकश लोगों के जीवन और आजीविका पर लगातार बर्बर हमले कर रही है और विभिन्न कानूनों, कार्यकारी आदेशों और नीतिगत अभियानों के माध्यम से आक्रामक रूप से श्रमिक-विरोधी, किसान-विरोधी और जन-विरोधी कदम उठा रही है। इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार की विदाई के लिए मजदूर वर्ग को कमर कसनी होगी। मीटिंग की अध्यक्षता यूनियन अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने और संचालन महामंत्री डा कैलाश पाण्डेय ने किया। मीटिंग में के के बोरा, कमला कुंजवाल, मीना आर्य, ममता पानू, कुलविंदर कौर, ललित मटियाली, कैलाश पाण्डेय आदि शामिल रहे।

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