उत्तराखंड
*पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट में फर्जीवाड़ा, छात्रों को फर्जी डिप्लोमा बांटने वाला चढ़ा पुलिस के हत्थे*
हल्द्वानी। पैरामेडिकल कोर्स के फर्जी डिप्लोमा देने के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में पुलिस ने आरोपी संचालक को गिरफ्तार कर लिया है। संचालक को कमलुवागांजा क्षेत्र से दबोचा गया है। पुलिस आरोपी से पूछताछ में जुटी हुई है।
बड़ी मुखानी निवासी हिमांशु नेगी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि 2018 में काठगोदाम स्थित पैरामेडिकल के शैक्षणिक इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया था। प्रबंधकों ने दावा किया था कि यह संस्थान दिल्ली पैरामेडिकल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (डीपीएमआई) की शाखा है। दो साल के कोर्स के एक लाख रुपये लिए गए। संस्थान में हिमांशु के साथ कुल 38 बच्चों ने दाखिला लिया था। कोर्स के बाद मार्कशीट, डिप्लोमा और पैरामेडिकल का सर्टिफिकेट भी दिया गया। बच्चे अलग-अलग जगहों पर प्राइवेट नौकरी करने लगे। बाद में उस बैच के एक छात्र ने अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में नौकरी के लिए आवेदन किया तो पता चला कि संस्थान से मिला डिप्लोमा फर्जी है। जांच करने पर पता चला कि डीपीएमआई की कोई शाखा काठगोदाम में नहीं है। हिमांशु ने जब इस संबंध में जब इंस्टीट्यूट के एमडी डॉ. प्रकाश मेहरा से बात की तो उन्होंने बताया कि रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अभी चल रही है।
आरोप है कि प्रकाश मेहरा के अलावा डॉ. पल्लवी मेहरा और तनुजा गंगोला ने सभी छात्र-छात्राओं के साथ धोखाधड़ी की है। पुलिस ने 11 अक्टूबर को तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी। बड़ी मुखानी निवासी हिमांशु नेगी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि 2018 में काठगोदाम स्थित पैरामेडिकल के शैक्षणिक इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया था। प्रबंधकों ने दावा किया था कि यह संस्थान दिल्ली पैरामेडिकल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (डीपीएमआई) की शाखा है। दो साल के कोर्स के एक लाख रुपये लिए गए। संस्थान में हिमांशु के साथ कुल 38 बच्चों ने दाखिला लिया था। कोर्स के बाद मार्कशीट, डिप्लोमा और पैरामेडिकल का सर्टिफिकेट भी दिया गया। बच्चे अलग-अलग जगहों पर प्राइवेट नौकरी करने लगे। बाद में उस बैच के एक छात्र ने अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में नौकरी के लिए आवेदन किया तो पता चला कि संस्थान से मिला डिप्लोमा फर्जी है। जांच करने पर पता चला कि डीपीएमआई की कोई शाखा काठगोदाम में नहीं है। हिमांशु ने जब इस संबंध में जब इंस्टीट्यूट के एमडी डॉ. प्रकाश मेहरा से बात की तो उन्होंने बताया कि रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अभी चल रही है।
आरोप है कि प्रकाश मेहरा के अलावा डॉ. पल्लवी मेहरा और तनुजा गंगोला ने सभी छात्र-छात्राओं के साथ धोखाधड़ी की है। पुलिस ने तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। मामले की जानकारी देते हुए एसएसपी पीएन मीणा ने बताया कि संचालक प्रकाश मेहरा ने छिली डीपीएमआई से फ्रैंचाइजी ली हुई थी। और यहां पर संस्थान खोल कर छात्र-छात्राओं को प्रवेश देना शुरू कर दिया। 2018 में प्रवेश लिया था। संस्थान की ओर से 2018 में 8 छात्र-छात्राओं, 2019 में 37, 2020 में 21 छात्र-छात्राओं को डिप्लोमा सर्टिफिकेट दिए गए। संचालक द्वारा डीपीएमआई दिल्ली को फीस अदा नहीं की जिसके बाद डीपीएमआई को फी डिफाल्टर घोषित कर कार्यक्रम बंद कर दिए गए। 2019 में पाठ्यक्रम के कोर्स बंद होने के बाद भी प्रकाश मेहरा छात्र-छात्राओं का प्रवेश देता गया। एसएसपी ने बताया कि विवेचना में पता चला कि आरोपी प्रकाश मेहरा ने 2019 के 37 और 2020 के 21 छात्र-छात्राओं को फर्जी डिप्लोमा थमा दिए।