Connect with us

Uncategorized

*आज मनाई जाएगी गोपा अष्टमी जानते हैं जानिए कथा एवं पूजा विधि।*

*आज मनाई जाएगी गोपा अष्टमी जानते हैं यह कथा एवं पूजा विधि।

नैनीताल।आज सोमवार को गोपाष्टमी पर्व मनाया जाएगा।

इस कथा के अनुसार एक दिन नंद-नंदन भगवान श्री कृष्ण ने माता यशोदा से कहा की मैया मैं अब बछड़े नहीं चराऊंगा अब मैं बड़ा हो गया हूं।

मैय्या यशोदा बोली – अच्छा लल्ला अब तुम बड़े
हो गए हो तो बताओ अब क्या करे..
भगवान् ने कहा – अब हम बछड़े चराने नहीं
जाएंगे, अब हम गाय चराएंगे…
मैय्या ने कहा – ठीक है बाबा से पूछ लेना” मैय्या
के इतना कहते ही झट से भगवान नन्द बाबा से
पूछने पहुंच गए…
बाबा ने कहा – लाला अभी तुम बहुत छोटे हो
अभी तुम बछड़े ही चराओ…
भगवान् ने कहा – बाबा अब मैं बछड़े नहीं गाय
ही चराऊंगा।
जब भगवान नहीं माने तब बाबा बोले- ठीक है
लाल तुम पहले पंडित जी को बुला लाओ- वह गौ
चारण का मुहूर्त देख कर बता दंगे…
बाबा की बात सुनकर भगवान झट से पंडित जी
के पास पहंचे और बोले -पांडित जी, आपको
बाबा ने बुलाया है, गौ चारण का मुहूर्त देिखना है,
आप आज ही का मुहुर्त बता देना मैं आपको
बहुत सारा माखन दुंगा….
पंडित जी नन्द बाबा के पास पहुंचे और बार-
बार पंचांग देख कर गणना करने लगे तब नन्द
बाबा ने पूछा, पंडित जी के बात है ? आप बार-
बार क्या गेन रहे हैं? पंडित जी बोले, क्या बताएं
नन्दबाबा जी केवल आज का ही मुहुर्त निकल
रहा है, इसके बाद तो एक वर्ष तक कोई मुहर्त
नहीं है.. पंडित जी की बात सुन कर नंदबाबा ने
भगवान् को गौ चारण की स्वीकृति दे दी।
भगवान जो समय कोई कार्य करें वही शुभ-मुहूर्त
बन जाता है। उसी दिन भगवान ने गौ चारण
आरम्भ किया और वह शुभ तिथि थी कार्तिक
मास में शुक्ल पक्ष अष्मी, भगवान के गौ-चारण
आरम्भ करने के कारण यह तिथि गोपाष्टमी कहलाई।
माता यशोदा ने अपने लल्ला के श्रृंगार किया
और जैसे ही पैरो में जूतियां पहनाने लगी तो
लल्ला ने मना कर दिया और बोले मैय्या यदि मेरी
गौएं जूतियां नहीं पहनती तो में कैसे पहन सकता
हूं। यदि पहना सकती हो तो उन सभी को भी
जूतियां पहना दो… और भगवान जब तक
वृन्दावन में रहे, भगवान ने कभी पैरों में जूतियां
नहीं पहनी। आगे-आगे गाय और उनके पीछे
बांसुरी बजाते भगवान उनके पीछे बलराम और
श्री कृष्ण के यश का गान करते हुए ग्वाल-
गोपाल इस प्रकार से विहार करते हुए भगवान् ने
उस वन में प्रवेश किया तब से भगवान् की गौ-
चारण लीला का आरम्भ हुआ।

*गोपाष्टमी पूजन विधि*
इस दिन बछड़े सहित गाय का पूजन करने का
विधान है। इस दिन प्रातः काल उठ कर नित्य
कर्म से निवृत हो कर स्नान करते हैं, प्रातः काल
ही गौओं और उनके बछड़ों को भी स्नान कराया
जाता है। गौ माता के अंगों में मेहंदी, रोली हल्दी
आदि के थापे लगाए जाते हैं, गायों को सजाया
जाता है, प्रातः काल ही धूप, दीप, पुष्प, अक्षत,
रोली, गुड़, जलेबी, वस्त्र और जल से गौ माता की
पूजा की जाती है और आरती उतरी जाती है।
पूजन के बाद गौ ग्रास निकाला जाता है, गौ माता
की परिक्रमा की जाती है, परिक्रमा के बाद गौओं
के साथ कुछ दूर तक चला जाता हैं।
*लेखक आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल*

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Continue Reading
You may also like...

More in Uncategorized