Advertisement
Advertisement
Monday, December 11, 2023

*कूष्मांडा नवमी। द्वापर युग का प्रारंभ।*

21नवम्बर को है कूष्माण्डा नवमी

जी हां कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसी दिन द्वापरयुग का प्रारंभ हुआ था। कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से पूर्णिमा तक आंवले में भगवान लक्ष्मी नारायण का वास होता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। इसी दिन भगवान विष्णु ने कूष्मांड नाम के दैत्य का वध किया था। इसी कारण से इस दिन को कूष्मांडा नवमी भी कहा जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी से कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तक भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। कूष्मांडा नवमी के विषय में माना जाता है कि इस दिन से द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। पद्म पुराण के अनुसार इस दिन द्वापर युग की शुरुआत हुई थी। आंवला नवमी पर आंवला के वृक्ष का पूजन भी महत्वपूर्ण है। इस दिन दान पुण्य करने से अन्य नौमी से कई गुना ज्यादा फल प्राप्त होता है। इस दिन विधि विधान से पूजा करने से संतान की प्राप्ति भी होती है। आंवला नवमी के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त पर जल में आंवले का रस मिलाकर स्नान करना चाहिए। इससे आपके इर्द-गिर्द जितनी भी नकारात्मक ऊर्जा होगी वह तत्काल समाप्त हो जाएगी सकारात्मक और पवित्रता में वृद्धि होगी। आंवले के वृक्ष और देवी लक्ष्मी का पूजन करें।

पूजन विधि
इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे झाड़ू से साफ सफाई करें। तत्पश्चात दूध फूल एवं धूप से पूजन करें। इसकी छाया में पहले ब्राह्मणों को भोजन कराएं फिर स्वयं भोजन करें। पुराणों के अनुसार भोजन करते समय थाली में आंवले का पत्ता गिर जाए तो आपके भविष्य के लिए यह सौभाग्य की बात है। इसके अनुसार आने वाला साल आपकी सेहत के लिए तंदुरुस्ती भरा होगा। आंवले की पूजा या उसके नीचे बैठकर भोजन करना संभव न हो तो आंवले की छोटी सी शाखा घर पर लाकर भी कर सकते हैं।

रोचक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार कूष्मांड नाम का एक दैत्य था उसके शरीर से ही कूष्मांडा अर्थात कद्दू की बेल उत्पन्न हुई थी। इसलिए इस दिन कद्दू दान करने से अनंतकोटी फल की प्राप्ति होती है। कद्दू के अंदर सोना चांदी आदि रखकर गुप्त दान करने से मनुष्य को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसलिए कद्दू को हमेशा काट कर ही दान किया जाता है। साबुत कद्दू दान करना वर्जित है।

परेशानियां दूर करने के उपाय

आंवला नवमी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होकर घर में सदा के लिए वास करती है। कूष्मांडा नवमी के दिन स्नान के जल में आंवले के रस की बूंदें डालें ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी। इस दिन शाम के समय घर के ईशान कोण में घी का दीपक प्रज्वलित करें। ध्यान रहे बत्ती में रुई की जगह लाल रंग के धागे का इस्तेमाल करें और यदि संभव हो तो दीपक में केसर भी डाल दें इस से मां लक्ष्मी तत्काल प्रसन्न होकर कृपा करेंगी साथ ही साथ पांच कुमारी कन्याओं को घर में बुलाकर खीर खिलाऐं। (हमारे सनातन धर्म में पंचकन्या को महत्वपूर्ण माना गया है।)तत्पश्चात कन्याओं को पीला वस्त्र और दक्षिणा देकर विदा करें।
पंच कन्याओं के सम्बन्ध में हमारे सनातन धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि –
अहिल्या द्रोपदी कुन्ती तारा मन्दोदरी तथा।
पंचकन्या स्मृते नित्यं महा पातक नाशन्ं।।
अर्थात -गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या, पांडवों की पत्नी द्रौपदी, पांडू पत्नी कुन्ती,बाली की पत्नी तारा, एवं रावण की पत्नी मंदोदरी इन्हें विवाहोपरांत भी कन्या कन्या कहा जाता है।जो व्यक्ति नित्य इनका स्मरण करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त इस दिन श्री यंत्र का गाय के दूध से अभिषेक करें। अभिषेक के जल के छींटे पूरे घर में डालें। श्री यंत्र को कमलगट्टे के साथ तिजोरी में रख दें। इससे धन लाभ होगा।

शुभ मुहूर्त
इस बार दिनांक 21 नवंबर 2023 दिन मंगलवार को कुष्मांडा नवमी मनाई जाएगी। इस दिन यदि नवमी तिथि की बात करें तो 46 घड़ी पांच पल अर्थात मध्य रात्रि 1:10 बजे तक नवमी तिथि है। यदि नक्षत्र की बात करें तो इस दिन 33 घड़ी आठ पल अर्थात रात्रि 9:59 तक शतभिषा नामक नक्षत्र है। यदि योग की बात करें तो इस दिन व्याघ्र नामक योग 27 घड़ी 10 पल अर्थात शाम 5:36 बजे तक है ।बालव नामक करण 18 घड़ी 43 पल अर्थात दोपहर 2:13 बजे तक है ।सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जाने तो इस दिन चंद्र देव पूर्ण रूपेण कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे।
आप सभी को कूष्मांडा नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
लेखक आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।

Latest news

Related news

- Advertisement -
Advertisement

You cannot copy content of this page