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उत्तराखंड

*महत्वपूर्ण गजकेसरी योग में होगी इस बार महालक्ष्मी पूजा।*

जानते हैं क्या लाभ होगा इस योग से।*और जानते हैं लक्ष्मी पूजा मुहूर्त, एवं निशिता मुहूर्त का सही समय।

इस बार दिनांक 12 नवंबर 2023 दिन रविवार को दीपावली अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन यदि अमावस्या तिथि की बात करें तो इस दिन 20 घड़ी 23 पल अर्थात दोपहर 2:45 से अमावस्या तिथि प्रारम्भ होगी। यदि नक्षत्र की बात करें तो इस दिन 50 घड़ी 30 पल अर्थात अगले दिन प्रातः 2:48 बजे तक स्वाति नामक नक्षत्र है यदि योग की बात करें तो आयुष्मान नामक योग 24 घड़ी 18 पल अर्थात शाम 4:19 बजे तक है। यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जाने तो इस दिन चंद्र देव पूर्ण रूपेण तुला राशि में विराजमान रहेंगे।

दिवाली 2023 की लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
12 नवंबर को दिवाली के दिन सूर्यास्त शाम
০5:29 बजे होगा. ऐसे में प्रदोष काल शाम
০5:29 बजे से शुरू होगा. दिवाली पर प्रदोष
काल में लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहुते 05 बजकर
39 मिनट से शाम 07 बजकर 35 मिनट तक है।
इस बार शाम में दिवाली की लक्ष्मी पूजा के लिए 1 घंटा 56 मिनट का शुभ समय प्राप्त
होगा। दिवाली का प्रदोष काल 05:29 बजे से
रात 08:0৪ बजे तक है, जबकि वृषभ काल शाम 05:39 बजे से शाम 07:35 बजे तक है।

दिवाली 2023 लक्ष्मी पूजा निशिता मुहुर्त

इस वर्ष दिवाली पर लक्ष्मी पूजा निशिता मुहुर्त
रात 11:39 बजे से लेकर देर रात 12:32 बजे तक है। लक्ष्मी पूजा निशिता मुहुर्त की अवधि 53
मिनट की होगी. उस समय सिंह लग्न देर रात 12:10 बजे से 02:27 एएम तक है।
निशिताकाल मुहुर्त में लोग लक्ष्मी मंत्रों को सिद्ध करते हैं।

सौभाग्य योग और स्वाती नक्षत्र में होगी
दिवाली लक्ष्मी पूजा इस बार दिवाली की लक्ष्मी पूजा सौभाग्य योगऔर स्वाती नक्षत्र में होगी। दिवाली को प्रात: काल
से आयुष्मान योग है, जो शाम 04 बजकर 25 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से सौभाग्य योग प्रारंभ होगा, जो अगले दिन दोपहर 03:23 बजे तक है। ये दोनों ही शुभ योग हैं।

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दिवाली की शाम
माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और धन के देवता
कुबेर की पूजा करने से सुख, संपत्ति, धन, वैभव और समृद्धिमें बढ़ोत्तरी होती है. पूरे वर्ष माता लक्ष्मी का आशीर्वांद प्राप्त होता है, जिससे धन का संकट नहीं रहता।

दीपावली पर 5 राजयोग
इस साल दिवाली पर एक साथ 5 राजयोग देखने को मिलेंगे। ये 5 राजयोग गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल
और दुर्धरा नाम के होंगे। इन राजयोगों का निर्माण शुक्र,
बुध, चंद्रमा और गुरु ग्रह स्थितियों के कारण बनेंगे।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गजकेसरी योग को
बहुत ही शुभ माना जाता है। यह योग मान-सम्मान और
लाभ देने वाला साबित होता है। वहीं हष्ष योग धन में
वृद्धि और यश दिलाता है। जबकि बाकी काहल
उभयचरी और दुर्धरा योग शुभता और शांति दिलाता है।
वहीं कई सालों बाद दिवाली पर दुर्लभ संयोग भी देखने
को मिलेगा जब शनि अपनी स्वयं की राशि कुंभ में
विराजमान होकर शश महापुरुष राजयोग का निर्माण
करेंगे। इसके अलावा दिवाली पर आयुष्मान और
सौभाग्य योग का निर्माण भी होगा।

गजकेसरी योग के लाभ।
गजकेसरी योग के संबंध में ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि यह एक ऐसा राजयोग है जिसका मतलब है हाथी के ऊपर
सवार सिंह। इस योग को बहुत ही शुभ और उत्तम बताया गया है क्योंकि इस योग का निर्माण तब होता है जब गुरु और चंद्रमा की खास स्थिति बनती है। गुरु
और चंद्रमा जब किसी राशि में साथ बैठे होते हैं या फिर गुरु जिस राशि में होते हैं उस राशि से चौथे,सातवें और दसवें घर में चंद्रमा होते हैं तो गजकेसरी
योग बनता है। यह योग जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है वह गुणवान, ज्ञानी और उत्तम गुणों वाला होता है।
लेखक आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल

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