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उत्तराखंड

*बहुत महत्वपूर्ण है रमा एकादशी, इस बार बन रहा यह संयोग*

बहुत महत्वपूर्ण है इसबार रमा एकादशी। जहां एक ओर कन्या राशि में शुक्र और चन्द्रमा की युति से कलात्मक योग बन रहा है वहीं दूसरी तरफ तुला राशि में मंगल और सूर्य की युति है। और गुरुवार जो भगवान विष्णु का प्रिय दिन है।

महत्व
रमा एकादशी व्रत रमा का अर्थ है लक्ष्मी। विष्णु एवं लक्ष्मी की पूजा होती है इस दिन।
सनातन धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। वर्ष में कुल 24 एकादशयां एवं अधिक वर्ष में 26 एकादशी होती हैं। सभी एकादशी व्रतों का विधान स्वयं नंद नंदन भगवान श्री कृष्ण ने पांडू पुत्रों से कहा है। एकादशी मनुष्य को कर्मों से मुक्ति प्रदान करती है। इन्हीं एकादशीओं में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। रमा देवी लक्ष्मी का दूसरा नाम है। इसलिए इस एकादशी में भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी जी की पूजा आराधना की जाती है। इससे जीवन में सुख समृद्धि स्वास्थ्य और खुशियां आती हैं।

रमा एकादशी व्रत कथा,,,,

पौराणिक कथा के अनुसार मुचुकुंद नामक प्रतापी राजा थे उनकी एक सुंदर कन्या थी। जिसका नाम चंद्रभागा था। इसका विवाह राजा चंद्रसेन के बेटे शोभन के साथ किया गया। सोभन शारीरिक रूप से अत्यंत दुर्बल था। वह एक समय भी बिना अन्न के नहीं रह सकता था। एक बार दोनों मुचकुंद राजा के राज्य में गए। उसी दौरान रमा एकादशी व्रत की तिथि थी। चंद्रभागा को यह सुन चिंता हो गई क्योंकि उसके पिता के राज्य में एकादशी के दिन इंसान ही क्या पशु भी अन्न घास आदि नहीं खा सकते थे। मनुष्य की तो बात ही अलग है। उसने यह बात अपने पति शोभन से कहीं और कहा अगर आपको कुछ खाना है तो इस राज्य से दूर किसी अन्य राज्य में जाकर भोजन ग्रहण करना होगा। पूरी बात सुन कर शोभन ने निर्णय लिया कि वह रमा एकादशी का व्रत करेंगे।

एकादशी का व्रत प्रारंभ हुआ। शोभन का व्रत बहुत कठिनाई से बीत रहा था व्रत होते रात बीत गई लेकिन अगले सूर्योदय तक शोभन के प्राण नहीं बचे। विधि विधान के साथ उसकी अंत्येष्टि की गई और उनके बाद उनकी पत्नी चंद्रभागा अपने पिता के घर ही रहने लगी। उसने अपना पूरा मन पूजा पाठ में लगाया और विधि के साथ एकादशी का व्रत किया।
दूसरी तरफ शोभन को एकादशी व्रत करने का पुण्य मिलता है और वह मरने के बाद एक बहुत भव्य देवपुर का राजा बनता है। जिसमें असीमित धन और ऐश्वर्य है। 1 दिन शोम शर्मा नामक ब्राह्मण उस देवपुर के पास से गुजरता है और शोभन को देखकर पहचान लेता है और उससे पूछता है कि कैसे यह सब ऐश्वर्य प्राप्त हुआ। तब शोभन उसे बताता कि यह सब रमा एकादशी व्रत का प्रताप है। परंतु यह सब अस्थिर है कृपा कर मुझे इसे स्थिर करने का उपाय बताएं। शोभन की पूरी बात सुन शोम शर्मा उस से विदा लेकर शोभन की पत्नी से मिलने जाते हैं और शोभन के देवपुर का सत्य बताते हैं। चंद्रभागा यह सुन बहुत प्रसन्न होती है और शोम शर्मा से कहती है कि आप मुझे अपने पति से मिला दो। इससे आपको भी पुण्य मिलेगा। तब शोम शर्मा उसे बताते हैं कि यह सब ऐश्वर्य अस्थिर है। तब चंद्रभागा कहती है कि वह अपने पुण्य से इस सबको स्थिर कर देगी।

शोम शर्मा अपने मंत्रों एवं ज्ञान के द्वारा चंद्रभागा को दिव्य बनाते हैं और शोभन के पास भेजते हैं। शोभन पत्नी को देखकर बहुत प्रसन्न होता है। तब चंद्रभागा उससे कहती है मैंने पिछले 8 वर्षों से नियमित ग्यारस का व्रत किया है। मेरे उन सब जीवन भर के पुण्य का फल मैं आपको अर्पित करती हूं। उसके ऐसा करते ही देवनगरी का ऐश्वर्य स्थिर हो जाता है। और सभी आनंद से रहने लगते हैं। इस प्रकार रमा एकादशी का महत्व पुराणों में बताया गया है इसके पालन से जीवन की दुर्बलता कम होती है ।

शुभ मुहूर्त,,,,,,
इस बार सन् 2023 में दिनांक 9 नवंबर 2023 दिन गुरुवार को रमा एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन 10 घड़ी 20 पल अर्थात प्रातः 10:42 बजे तक एकादशी तिथि है तदुपरांत द्वादशी तिथि प्रारंभ होगी यदि नक्षत्र की बात करें तो इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नामक नक्षत्र 38 घड़ी 18 पल अर्थात रात्रि 9:43 बजे तक है। यदि योग की बात करें तो इस दिन वैघृति नामक योग 25 घड़ी 20 पल ल अर्थात शाम 4:42 बजे तक है ।यदि करण की बात करें तो इस दिन बालव नामक करण 10 घड़ी 20 पल अर्थात प्रातः 10:42 बजे तक है। सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जाने तो इस दिन चंद्र देव पूर्ण रूपेण कन्या राशि में विराजमान रहेंगे।

रमा एकादशी इस बार गुरुवार के दिन पड़ रही है, जो विष्णु जी को अति प्रिय है। इसके अलावा रमा एकादशी के दिन कन्या राशि में शुक्र और चंद्रमा की युति से कलात्मक योग बन रहा है। कलात्मक योग से कुछ राशियों को धन-वैभव की प्राप्ति होती है। मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है।वहीं इस दिन तुला राशि में सूर्य-मंगल भी एक साथ विराजमान रहेंगे। सूर्य- मंगल की युति से व्यक्ति अपने जीवन में बड़ी सफलता हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध होता है। इसके साथ ही रमा एकादशी पर गोवत्स द्वादशी का संयोग भी बन रहा है। इसमें गाय की पूजा की जाती है,इसे “बछ बारस “भी कहते हैं। गाय की पूजा से मां लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं। इस दिन प्रदोषकाल गोवत्स द्वादशी पूजा का मुहूर्त – शाम05.30 -से08:08 बजे तक है।

एकादशी व्रत आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।
ॐ जय एकादशी माता।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
मय्या भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।
ॐ जय एकादशी माता।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना,
विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बनी।।
ॐ जय एकादशी माता।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहे।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै।।
ॐ जय एकादशी माता।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला
आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की।
ॐ जय एकादशी माता।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह
वाली ।।
ॐ जय एकादशी माता।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिेनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।
ॐ जय एकादशी माता।।
योगिनी नाम आषाढ में जानो, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी।
ॐ जय एकादशी माता।
कामिका श्रावण मास में आव, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।।
ॐ जय एकादशी माता
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्विन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।।
ॐ जय एकादशी माता।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, पाप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी।
ॐ जय एकादशी माता।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करू विनती पार करो नैया।।
ॐ जय एकादशी माता।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्ममनी दुख दारिद्र हरनी।।
ॐ जय एकादशी माता।
जो कोई आरती एकादर्शी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्वय वह पावै।
ॐ जय एकादशी माता।।
बोलिए एकादशी माता की जै।
भगवान श्री हरि विष्णु एवं माता लक्ष्मी की कृपा आप और आपके परिवार में सदैव बनी रहे इसी मंगल कामना के साथ आपका दिन मंगलमय हो।
लेखक आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।

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