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*छठे नवरात्रि को मां कात्यायनी की पूजा होती है, आइए जानते हैं कथा, महत्व, शुभ मुहूर्त, एवं आरती।*

 

नैनीताल।आज 20 अक्टूबर दिन शुक्रवार को माता कात्यायनी की पूजा होगी। इस दिन षष्ठी तिथि 42 घड़ी 45 पल अर्थात रात्रि 11:25 बजे तक है। इस दिन मूल नक्षत्र 35 घड़ी 48 पल अर्थात शाम 8:38 बजे तक है। इस दिन कौलव नामक करण 14 घड़ी 15 पल अर्थात दोपहर 12:01 बजे तक है ।सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जानें तो इस दिन चंद्र देव पूर्ण रूपेण धनु राशि में विराजमान रहेंगे।

 

नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा

की जाती है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म,काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती

है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो

जाते हैं।

इस देवी को नवरात्रि में छठे दिन पूजा जाता है। कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना

की। कठिन तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो। मां भगवती ने उनके घर

पुत्री के रूप में जन्म लिया।

इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलाई।

इनका गुण शोधकार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायनी का महत्व सर्वाधिक हो जाता है। इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं। ये वैद्यनाथ नामक

स्थान पर प्रकट होकर पूजी गई। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं।

भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए

ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी।यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी। इसीलिए ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री

देवी के रूप में प्रतिध्ठित हैं। इनका स्वरूप अत्यंत दिव्य है। ये स्वर्ण के समान चमकीली हैं।

इनकी चार भुजाएं हैं। दाई तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बाई तरफ के ऊपर

वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित हैं। इनका वाहन

भी सिंह है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म,

काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो

जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति

होती है।

 

*मां कात्यायनी बीज मंत्र*

क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम

*पूजा मंत्र*

1. ओम देवी कात्यायन्यै नमः ॥

2. एत्ते वदनम साओमयम् लोचन त्रय भूषितम।

पातु नः सर्वभितिभ्य, कात्यायनी नमोस्तुते।।

 

*मां कात्यायनी की आरती*

 

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।

जय जगमाता, जग की महारानी।।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा।।

कई नाम हैं, कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।

हर जगह उत्सव होते रहते।।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।

हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की।।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।

अपना नाम जपाने वाली।।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।।

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी।।

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

बोलिए कात्यायनी माता की जै।

 

कात्यायनी माता की कृपा आप और हम सभी पर बनी रहे इसी मंगल कामना के साथ आपका दिन मंगलमय हो।

।।🙏जै माता दी 🙏।।

 

✍️ आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।

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