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कोटद्वार के अधिवक्ता सुशील रघुवंशी की हत्या के मामले में हाईकोर्ट सख्त,प्रमुख सचिव न्याय को चेतावनी
नैनीताल: हाई कोर्ट ने कोटद्वार के अधिवक्ता सुशील रघुवंशी की हत्या के मामले में निचली अदालत से बरी हत्यारोपियों के विरुद्ध अपील नहीं करने पर प्रमुख सचिव न्याय पर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने उन्हें चेतावनी देते हुए उनके सर्विस रिकॉर्ड में यह दर्ज करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 18 अक्टूबर को नियत कर दी।
दरअसल सितंबर 2017 में कोटद्वार के अधिवक्ता सुशील रघुवंशी की उस वक्त हमलावरों ने हत्या कर दी थी, जब वह अदालत को जा रहे थे। हत्या का आरोप विनोद लाला व अन्य पर लगा था। इसी साल मार्च में कोटद्वार के एडीजे कोर्ट से अभी सात आरोपित दोषमुक्त हो गए। इस सनसनीखेज हत्याकांड के आरोपित बरी हो गए तो सरकार की ओर से हाई कोर्ट में अपील दाखिल नहीं की गई तो मृतक की पत्नी रेखा रघुवंशी ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए प्रमुख सचिव से इसका कारण पूछा तो बताया गया कि जिला शासकीय अधिवक्ता की ओर से राय नहीं की गई। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रमुख सचिव के पद पर तैनात न्यायिक अधिकारी के लिए यह अशोभनीय है। प्रमुख सचिव (कानून) द्वारा अपनाए गए रुख से असहमत हैं। कोर्ट के अनुसार सरकारी कार्यालयों में, विशेषकर सचिवालय में, विचाराधीन कागज की विभिन्न स्तरों पर जांच की जाती है। अंतिम निर्णय
विभाग के सचिव या प्रमुख सचिव लेते हैं। इस मामले में दुर्भाग्य से तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इससे संकेत मिलता है कि या तो प्रमुख सचिव (कानून) स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम नहीं हैं या फिर वह निर्णय लेने की जिम्मेदारी से बचते हैं। कोर्ट ने प्रमुख सचिव (कानून) को भविष्य में सावधान रहने की चेतावनी दी है।