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उत्तराखंड

*प्रथम नवरात्र में होती है मां शैलपुत्री की पूजा। जानते हैं मां शैलपुत्री की कथा, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्वपूर्ण मंत्र।*

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शुभ मुहूर्त-

दिनांक 15 अक्टूबर 2023 दिन रविवार को प्रथम नवरात्र के दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। इस दिन 45 घड़ी 40 पल अर्थात मध्य रात्रि 12:32 बजे तक प्रतिपदा तिथि रहेगी इस दिन चित्रा नामक नक्षत्र 29 घड़ी 43 पल अर्थात शाम 6:09 तक है वैघृति नामक योग 10 घड़ी पांच पल अर्थात प्रातः 10:18 बजे तक है इस दिन चंद्र देव तुला राशि में विराजमान रहेंगे।

मां शैलपुत्री की कथा

मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। हिमालय के वहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नामकरण हुआ शैलपुत्री। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृष्ारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं। इस देवी ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। यही देवी प्रथम दुर्गा हैं। ये ही सती के नाम से भी जानी जाती हैं। उनकी एक मार्मिक कहानी है।
एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, भगवान शंकर को नहीं। सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है।सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो सिर्फ मां ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव है। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुंचा। वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगान्नि द्वारा अपने को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाई।
पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ । शैलपुत्री शिवजी की अद्धगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है।

इन मंत्रों के साथ करें मां शैलपुत्री की उपासना

1. व्दे वाज্छितलाभाय चन्द्रार्धकृत्शेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥।
2. या देवी सर्भूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
3. वन्दे वाचछित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलथरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ।।
4. शिवरूपा वृष वहिनी हिमकन्या शुभंगिनी ।
पद्म त्रिशूल हस्त धारि्णी
रत्नयुक्त कल्याणकारिणी।।
5. औम् ऐं हीं क्लीं शैलपुत्र्य नमः
ओम देवी शैलपुत्र्यै नमः
6. बीज मंत्र- हीं शिवायै नमः

मां शैलपुत्री का स्तोत्र पाठ

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम् ॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।

सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्।॥
चराचरेश्ररी त्वंहि महामोहः विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम् ।

मां शैलपुत्री की कृपा हम और आप सभी पर बनी रहे इसी मंगल कामना के साथ
।।🙏जै माता दी ।।
लेखक आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।

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