उत्तराखंड
*राज्य में अब तक 9630 लोगों ने निःक्षय मित्र के तौर पर कराया पंजीकरण, इतने हजार लोगों ने दी टीबी को मात*
अल्मोड़ा। टीबी मुक्त उत्तराखंड के लिये राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास धरातल पर नजर आने लगे हैं। टीबी रोगियों की सेवा के लिये प्रदेश में हजारों ने लोगों ने आगे आकर सामुदायिक भागीदारी निभाई है। इन निःक्षय मित्रों की मदद से सूबे में 18 हजार से अधिक लोग टीबी को मात देकर स्वस्थ हो चुके हैं।
सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत राज्य में अबतक 9630 लोगों ने निःक्षय मित्र के तौर पर अपना पंजीकरण कराया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को वर्ष 2024 तक टीबी मुक्त करने के उद्देश्य से प्रदेश के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान को व्यापक स्तर पर चलाया जा रहा है। जिसमें नि-क्षय मित्र चिन्हित टीबी रोगियों को गोद लेकर टीबी मुक्त अभियान में अहम भूमिक निभा रहे हैं। जिसमें हरिद्वार जनपद में सर्वाधिक 2148 नि-क्षय मित्र पंजीकृत हैं जबकि ऊधमसिंह नगर में 2173, नैनीताल 1288, देहरादून 1470, अल्मोड़ा 497, पौड़ी गढ़वाल 467, टिहरी 387, पिथौरागढ़ 245, रूद्रप्रयाग 221, चमोली 205, उत्तरकाशी 197, चम्पावत 179 तथा बागेश्वर में 153 नि-क्षय मित्रों का पंजीकरण किया गया है।
डॉ. रावत ने बताया कि सूबे में अबतक 15070 टीबी मरीजों का चिन्हिकरण किया जा चुका है, जिसमें से 10521 मरीजों ने नि-क्षय मित्रों से सामुदायिक सहयोग के लिये हामी भरी है जबकि प्रदेश में 9814 रोगी नि-क्षय मित्रों के सहयोग से लाभान्वित हो रहे हैं। जिसमें अल्मोड़ा जनपद में 313, बागेश्वर 99, चमोली 146, चम्पावत 148, देहरादून 1508, पौडी गढ़वाल 223, हरिद्वार 3375, नैनीताल 984, पिथौरागढ़ 245, रूद्रप्रयाग 161, टिहरी गढ़वाल 264, ऊधम सिंह नगर 2109 तथा उत्तरकाशी में 239 शामिल हैं। डॉ. रावत ने बताया कि टीबी उन्मूलन की ओर सकारात्मक अग्रसर होने के दृष्टिगत भारत सरकार ने राज्य के सात जनपदों का चयन सर्टिफिकेशन प्रक्रिया के लिये किया। जिनमें से देहरादून जनपद को गोल्ड जबकि चम्पावत, पौड़ी व टिहरी गढ़वाल को ब्रॉंन्ज मेंडल प्रदान किये गये, जोकि प्रदेश के लिये टीबी उन्मूलन की दिशा में बड़ी उपलब्धि है।