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*बहुत महत्वपूर्ण है राधा अष्टमी पर्व**आज 23 सितम्बर को मनाया गया राधा अष्टमी व्रत भी* -*आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल*।

 

नैनीताल।भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को यानी आज जिस प्रकार नन्दाष्टमी पर्व मनाया जाता है आज ही राधा अष्टमी भी मनाई जाती है। जैसा की नंदा अष्टमी की कथा से सभी परिचित हैं आज पाठकों को राधा अष्टमी की कथा के संबंध में बताना चाहूंगा।

आज के दिन राधा रानी की भी पूजा की जाती है ऐसा कहा जाता है कि बिना राधा की पूजा के भगवान श्री कृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए जिन भक्तों को श्री कृष्ण जी का आशीर्वाद चाहिए उन्हें राधा जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। राधा रानी की पूजा करने से भक्त की सारी कामनाएं की पूर्ति होती है। यदि किसी जातक के विवाह में देरी हो रही है तो भी राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की विशेष पूजा कर सकता है। ऐसा करने से उसकी मनोकामना शीघ्रातिशीघ्र पूर्ण होती है। राधा अष्टमी का पर्व बरसाने में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

 

*राधा अष्टमी की कथा*

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब माता राधा स्वर्ग छोड़कर चली गई तब भगवान श्री कृष्णा विरजा नामक सखी के साथ घूम रहे थे। यह सब देखकर राधा क्रोधित हो गई और उन्होंने विरजा का अपमान कर दिया घायल विरजा नदी की भांति बहने लगी। नंद नंदन भगवान श्री कृष्ण के मित्र सुदामा राधा के ऐसे व्यवहार से नाराज थे इस व्यवहार को देखकर सुदामा राधा से क्रोधित थे। सुदामा के क्रोधित होने से राधा भी सुदामा से क्रोधित हो गई। और उन्होंने सुदामा को राक्षस के रूप में जन्म लेने का श्राप दे दिया। तब सुदामा ने भी राधा को मानव रूप में जन्म लेने का श्राप दिया। राधा के श्राप के कारण सुदामा शंखचूड़ नाम का राक्षस बन गया जिसे बाद में भगवान शिव ने मार डाला। सुदामा जी के श्राप के कारण राधा जी को मनुष्य बनकर पृथ्वी पर आना पड़ा। और भगवान श्री कृष्ण से अलग होना पड़ा। कुछ पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में जन्म लिया था जैसे उनकी पत्नी लक्ष्मी जी राधा के रूप में पृथ्वी पर आई थी। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार राधा जी श्री कृष्ण की सखी थी और उनका विवाह रापाण नामक व्यक्ति से हुआ था।

 

*राधा अष्टमी का महत्व*

राधा अष्टमी पर्व का हमारे सनातन धर्म में बहुत महत्व है। आज के दिन राधा रानी की पूजा की जाती है और व्रत किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि राधा अष्टमी का व्रत करने से सड़क को कभी धन की कमी नहीं होती है। जो कोई भी व्यक्ति निष्ठा पूर्वक राधा अष्टमी व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जिस किसी भी व्यक्ति को नंद नंदन भगवान श्री कृष्ण की कृपा चाहिए उन्हें राधा को भी भजना चाहिए।

तो बोलिए राधे कृष्णा, राधे कृष्णा।

आलेख – आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।

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