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*वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज कुलौरा की दमदार पैरवी के चलते तत्कालीन ग्राम पंचायत विकास अधिकारी व सहायक अध्यापक क़ो मिला इंसाफ* *प्रथम न्यायिक मजिस्ट्रेट नैनीताल की अदालत ने किया दोषमुक्त* *बेतालघाट ब्लाक के तल्लीसेठी में कोरोना काल के दौरान क्वारंटीन केंद्र में सांप के काटने से हुई थी प्रवासी बच्ची की मौत*

नैनीताल। न्यायिक मजिस्ट्रेट-प्रथम नैनीताल/अपर सिविल जज रूचिका गोयल ने कोरोनाकाल के दौरान बेतालघाट के क्वारंटीन सेंटर में सांप के काटने से हुई बच्ची की मौत के मामले के आरोपी तत्कालीन ग्राम पंचायत विकास अधिकारी उमेश जोशी व सहायक अध्यापक करन सिंह पर लगाए गए आरोप साबित न होने के कारण उन्हें संदेह का लाभ देते हुए दोष मुक्त करार दिया है।

कोरोनाकाल में लॉकडाउन लग जाने बाहरी प्रदेशों के प्रवासी राज्य में वापस आने के दौरान जिला प्रशासन द्वारा कोविड के लिए क्वारंटीन सेंटर बनाए गए थे इसी के तहत बेतालघाट में तैनात खंड शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर कोविड के क्वारंटीन सेंटरों में व्यवस्थाएं बनाने के लिए शिक्षकों व क्वारंटीन किए गए लोगों की व्यवस्थाओं में ग्राम प्रधानों के सहयोग के लिए ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बेतालघाट ब्लाक के तल्लीसेठी स्थित प्राथमिक विद्यालय क्वारंटीन सेंटर में ग्राम विकास अधिकारी उमेश जोशी व तल्लीसेठी के सहायक अध्यापक करन सिंह को ड्यूटी पर लगाया गया था। 25 मई 2020 को क्वारंटीन सेंटर में रह रहे एक परिवार की बच्ची की सांप के काटने से मृत्यु हो गई। जिसके लिए विभागीय स्तर पर सहायक अध्यापक करन सिंह और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी उमेश जोशी क्वारंटीन सेंटर की ड्यूटी से गायब रहने के लिए दोषी माना गया था और उनके विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट खंड शिक्षा अधिकारी की ओर से दोनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 ए व 56 आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसका विचारण न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों के साक्षी के आधार पर किया गया।

सोमवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट-प्रथम अपर सिविल जज रूचिका गोयल की अदालत में मामले के निर्णय पर सुनवाई हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से आरोपियों पर दोष साबित करने के लिए अलग अलग तर्क दिए गए जबकि बचाव पक्ष की ओर से मामले में पैरवी करते हुए अधिवक्ता पंकज कुलौरा ने आरोपियों के बचाव में न्यायालय में कई मजबूत तर्क दिए। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने, गवाहों के बयानों व संबंधित दस्तावेजों का परीक्षण करने के बाद विद्वान न्यायाधीश रूचिका गोयल ने दोष साबित न होने पर संदेह का लाभ देते हुए दोनों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।

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