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उत्तराखंड

*मेट्रोपोल इलाके को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए अभियान शुरू*

नैनीताल। मेट्रोपोल इलाके को अतिक्रमण मुक्त करने की कवायद शुरू हो गई है। इस कार्य में जेसीबी मशीनें और कर्मचारी लगाए गए हैं।

गौरतलब है कि जिला प्रशासन द्वारा शत्रु सम्पत्ति के कब्जाधारकों को नियमानुसार पर्याप्त नोटिस व जनसुनवाई के अवसर के साथ ही स्वयं से खाली करने का पूरा मौका दिया गया। किन्तु जब इनके द्वारा स्वयं आवास खाली नहीं किये गए उसके पश्चात जिला व पुलिस प्रशासन द्वारा दल बल के साथ आज ध्वस्तीकरण की कार्यवाही शुरू की गई।  हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा पारित नये अध्यादेश में सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्जा करने वालों दस साल की सजा का प्राविधान भी किया गया है। उन्होंने राज्य में सरकारी सम्पत्तियों पर अवैध कब्जे किये गए लोगों से भी अपील की है कि स्वयं अवैध कब्जों को खाली करें अन्यथा कार्रवाई की जायगी।

दरअसल, इस अतिक्रमण को हटाने के फलस्वरूप प्रशासन को यहां इतनी जमीन उपलब्ध हो जाएगी कि काफी हद तक नैनीताल में पार्किंग की समस्या दूर हो जाएगी। गौरतलब है कि मेट्रोपोल परिसर में स्थित 134 परिवार शत्रु सम्पत्ति में अवैध रूप से काबिज हैं।  शत्रु सम्पत्ति में पूर्व से अवैध रूप से काबिज व्यक्तियों द्वारा अपने आवास अवैध रूप से बेच दिए हैं या किराये में किसी अन्य को दिये हैं अर्थात् पूर्व के मूल अवैध कब्जेदार भी वर्तमान में इन आवासों पर निवासरत् नहीं हैं तथा सबलेट हुए परिवारों द्वारा व्यवसायिक गतिविधियां भी इसी स्थान पर की जा रही है।   शत्रु सम्पत्ति स्थित परिसर में जो अवैध कब्जेदार काबिज हैं, ये समस्त परिवार नैनीताल के मुख्य नाले के किनारे अवैध रूप से काबिज हैं। इस नाले का उद्गम स्थल सूखाताल झील है एवं समापन बिन्दु नैनीताल झील है। नाले का उद्गम स्थल सूखाताल नैनी झील का रिचार्ज प्वाइंट है।

नाले में अतिक्रमणकारियों द्वारा गन्दगी करने तथा सीवर का पानी नाले में छोड़े जाने के कारण कूड़ा-करकट एवं सीवर की गन्दगी नैनी झील में प्रवेश कर रही है, जिससे नैनी झील दूषित हो रही है तथा जल प्रदूषण उत्पन्न हो रहा है। नैनी झील के पानी से नगर में पेयजल आपूर्ति की जाती है, जिसका प्रभाव नैनीताल निवासियों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।  इसका संज्ञान उच्च न्यायालय, उत्तराखण्ड द्वारा भी जनहित याचिका के आदेश में लिया गया है। प्रत्यक्ष रूप से मेट्रोपोल नाले के किनारे अवैध कब्जा जन स्वास्थ्य को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रहा है, जो कि वृहद जनहित में उचित नहीं है।

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