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*कुमाऊं विश्वविद्यालय में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम हेतु दो दिवसीय कार्यशाला*

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नैनीताल। महिला अध्ययन केन्द्र, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल (उत्तराखण्ड) द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) के सहयोग से एक विशेष जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान कार्यस्थल पर लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करने, महिलाओं को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने, और यौन उत्पीड़न के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 25 नवंबर से 10 दिसंबर 2024 तक चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कार्यस्थल में सहजता और सजगता को बढ़ावा देना है, ताकि सभी लोग अपने और दूसरों के व्यवहार के प्रति संवेदनशील हो सकें और समझ सकें कि कार्यस्थल पर क्या व्यवहार स्वीकार्य है।

इस अभियान के तहत महिला अध्ययन केन्द्र, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल में 28 और 29 नवंबर 2024 को “प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हरैसमेंट ऑफ वर्किंग वीमेन एंड स्टूडेंट” विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे को गंभीरता से समझना और इससे निपटने के उपायों पर विचार करना था। कार्यशाला के पहले दिन की शुरुआत महिला अध्ययन केन्द्र की निदेशक डॉ. नीता बोरा शर्मा ने की, जिन्होंने कार्यक्रम की प्रमुख वक्ता, श्रीमती स्वेता डोभाल (अधिवक्ता, हाईकोर्ट) का स्वागत किया।

श्रीमती स्वेता डोभाल ने अपने व्याख्यान में विशाखा गाइडलाइन्स और भंवरी देवी केस पर विस्तार से जानकारी दी, जो कि भारत में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानूनी संघर्ष की शुरुआत का हिस्सा बने। उन्होंने बताया कि विशाखा गाइडलाइन्स के आधार पर ही 2013 में पोस्को एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act) अस्तित्व में आया, जिससे 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकी। उन्होंने पोस्को एक्ट के तहत सेक्शन 9 की चर्चा की, जिसमें पीड़िता द्वारा शिकायत दर्ज करने का अधिकार है, और सेक्शन 12 के तहत लिखित शिकायत भी दर्ज की जा सकती है, हालांकि झूठी शिकायत के लिए कानूनी जुर्माना हो सकता है। इसके साथ ही, उन्होंने पॉश कमेटी की भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जो सेक्सुअल हैरेसमेंट के मामलों की जांच करती है।

महिला अध्ययन केन्द्र की निदेशक डॉ. नीता बोरा शर्मा ने इस अवसर पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम और घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 पर अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन से हुआ, जिसमें श्रीमती स्वेता डोभाल का आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम का संचालन खूशबू आर्या ने किया।

इस कार्यक्रम में एम.ए. महिला अध्ययन पाठ्यक्रम के छात्रों के साथ-साथ आई.टी.ई.पी., बी.बी.ए., और भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय के विद्यार्थियों ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में डॉ. किरन तिवारी, सत्येन्द्र अविनाश, समृद्धि, मीनाक्षी, जगदीश पाण्डे, राकेश, कृष्ण आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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